भोपाल। राजधानी भोपाल की 25वीं बटालियन में गुरुवार को मॉक ड्रिल के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया। अभ्यास के दौरान हैंड ग्रेनेड अचानक फट गया, जिससे दो पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में प्रधान आरक्षक विशाल सिंह और आरक्षक संतोष कुमार शामिल हैं। बताया जा रहा है कि विशाल सिंह की हालत बेहद नाजुक है। दोनों घायलों का चूनाभट्टी स्थित बंसल अस्पताल में इलाज जारी है।
पाकिस्तान द्वारा हाल में किए गए हमले के बाद प्रदेशभर में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने के लिए पुलिस द्वारा लगातार मॉक ड्रिल की जा रही हैं। इसी कड़ी में भोपाल की 25वीं बटालियन में सुरक्षा अभ्यास आयोजित किया गया था। अभ्यास के दौरान, अचानक एक हैंड ग्रेनेड फट गया, जिससे अभ्यास में भाग ले रहे दो जवानों को सीधे चोटें आईं। विस्फोट की आवाज से इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
घायल जवानों को तत्काल निजी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, विशाल सिंह की हालत नाजुक बनी हुई है। दोनों को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया है और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम इलाज में जुटी है।
इधर, घटना के बाद पुलिस मुख्यालय ने मामले की जांच के आदेश जारी किए हैं। एक उच्चस्तरीय इंक्वायरी कमेटी बनाई जा सकती है, जो मॉक ड्रिल के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल में हुई चूक की जांच करेगी।
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विजय शाह पर FIR को हाईकोर्ट ने ‘खानापूर्ति’ करार दिया, कहा- अभियुक्त की करतूतों को छुपाया जा रहा
जबलपुर। मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की वीरांगना कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए विवादित बयान का मामला अब गंभीर कानूनी मोड़ ले चुका है। जबलपुर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, दोनों ही न्यायालयों से मंत्री को फटकार का सामना करना पड़ा है। जहां हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सख्त टिप्पणी की, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी मंत्री की अर्जी पर तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया।
यह विवाद 12 मई को मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के महू में आयोजित एक कार्यक्रम से शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में मंत्री विजय शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की ब्रीफिंग देने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लिए बिना टिप्पणी की, जो कि जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने हमारी बहनों का सिंदूर मिटा दिया था, हमने उनकी बहन को भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवाई।”
इस बयान को लेकर व्यापक आलोचना हुई। कर्नल सोफिया कुरैशी के परिवार, सेना के अधिकारियों, विपक्षी दलों और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। लोगों ने इसे न केवल एक महिला सैन्य अधिकारी का अपमान बताया, बल्कि इसे भारतीय सेना की गरिमा और सामाजिक सौहार्द पर चोट के रूप में देखा।
मामले को गंभीरता से लेते हुए जबलपुर हाईकोर्ट की खंडपीठ न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला ने स्वतः संज्ञान लिया और मंत्री के बयान को गटर की भाषा बताया। कोर्ट ने कहा, “यह बयान न सिर्फ एक महिला अधिकारी का अपमान है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता, सामाजिक सौहार्द और भारतीय सेना की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है।”
इसके बाद कोर्ट ने 14 मई को राज्य के डीजीपी को आदेश दिया कि वह विजय शाह के खिलाफ भारत न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत चार घंटे के भीतर FIR दर्ज करें। उसी रात महू तहसील के मानपुर थाने में मंत्री विजय शाह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
जब 15 मई को FIR की कॉपी कोर्ट के सामने पेश की गई, तो खंडपीठ ने उसकी भाषा और प्रस्तुति पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा, “FIR को इस तरह ड्राफ्ट किया गया है, जैसे अभियुक्त की करतूतों को छुपाया जा रहा हो। यह इतनी कमजोर है कि किसी भी चुनौती में यह खारिज की जा सकती है।”
न्यायमूर्ति श्रीधरन ने आगे कहा, “इस स्तर की लापरवाही न केवल कानूनी प्रक्रिया का मजाक है, बल्कि यह सेना और एक महिला अधिकारी के सम्मान के साथ खिलवाड़ है।”
इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिए कि FIR को संशोधित किया जाए, उसमें मंत्री के कथनों के पूरे तथ्य और संदर्भ स्पष्ट रूप से जोड़े जाएं, और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जांच निष्पक्ष और बिना किसी राजनीतिक दबाव के हो। हाईकोर्ट मामले की मॉनिटरिंग खुद करेगा, ताकि निष्पक्ष जांच हो सके। मामले की अगली सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद होगी।
FIR दर्ज होने के बाद मंत्री विजय शाह ने जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने अपनी याचिका में यह तर्क दिया कि उनके बयान को गलत समझा गया और उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांग ली है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को नकारते हुए तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने कहा, “आप एक मंत्री हैं, आपको सोच-समझकर बोलना चाहिए। पहले हाईकोर्ट में अपील करें।”
सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह के वकील को निर्देश दिया कि वे पहले इस मामले को हाईकोर्ट में उचित रूप से प्रस्तुत करें। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर अगली सुनवाई अब शुक्रवार 16 मई को करेगा।
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दिग्विजय बोले- जो काम BJP को करना था, वह कोर्ट ने किया, सीजफायर से लेकर आतंकियों की पहचान तक उठाए सवाल
इंदौर। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने आज इंदौर में मीडिया से चर्चा के दौरान केंद्र और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले, पाकिस्तान पर की गई स्ट्राइक और कर्नल सोफिया कुरैशी पर मंत्री विजय शाह की टिप्पणी जैसे मुद्दों को लेकर सरकार की आलोचना की।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं हाईकोर्ट के जज को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने वह काम किया जो बीजेपी को करना चाहिए था। अदालत के निर्देश पर मंत्री विजय शाह पर एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन आज तक बीजेपी ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इसका साफ मतलब है कि भाजपा उन्हें बचा रही है। उन्होंने भाजपा नेताओं से सवाल पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा विजय शाह के बयान से सहमत हैं? अगर नहीं, तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों ने सटीक कार्रवाई की, जिसकी वह सराहना करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि हमला करने वाले चार आतंकियों की पहचान अब तक क्यों नहीं हो पाई है? उन्होंने कहा, “जब अमेरिका ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में खोज सकता है तो हम आतंकियों की पहचान क्यों नहीं कर पा रहे हैं?”
कर्नल सोफिया कुरैशी के भाजपा प्रवक्ता बनाए जाने के बाद विजय शाह की आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर दिग्विजय सिंह ने भाजपा की विचारधारा पर हमला किया। उन्होंने कहा, भाजपा नेताओं ने हर मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की। विजय शाह के बयान में भी वही संघी मानसिकता दिखती है, जिसे हम शुरू से विरोध करते आए हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर भाजपा की ट्रोल आर्मी ने न केवल कर्नल सोफिया कुरैशी, बल्कि भारत सरकार के प्रवक्ता विक्रमजीत और उनके परिवार को भी निशाना बनाया। ये ट्रोल्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फॉलो किए जाते हैं, जो भाजपा की विचारधारा को उजागर करता है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के साथ अचानक सीजफायर का निर्णय कैसे लिया गया, यह सवाल खड़ा करता है। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान के बाद पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क किया और सीजफायर की पेशकश की, लेकिन इसके बावजूद सीजफायर उल्लंघन क्यों हो रहे हैं?
अंत में दिग्विजय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार किसी भी राष्ट्रीय संकट के समय विपक्ष को विश्वास में नहीं लेती। उन्होंने याद दिलाया कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जब चीन के साथ संकट हुआ था, तब संसद में विपक्ष को बुलाकर चर्चा की गई थी। आज के प्रधानमंत्री ऐसा करने से शर्माते क्यों हैं? डरते क्यों है? दिग्विजय सिंह ने कहा।