शिल्पी सिन्हा, मुंबई
ICICI बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर चंदा कोचर ने कॉरपोरेट क्लाइंट्स को फायदा पहुंचाने के आरोप 2 वर्ष पहले लगने के बावजूद अब बैंक को क्यों छोड़ा है? क्या वह इन आरोपों से लड़ते हुए थक गई थीं या इसका कोई अन्य कारण है?
सूत्रों का कहना है कि कोचर पक्के इरादे वाली महिला हैं और मुश्किलों से नहीं घबरातीं। इसका जवाब बैंकिंग रेगुलेशन ऐक्ट, 1949 में छिपा हो सकता है। ऐक्ट में कहा गया है कि कोई बैंक एक अस्थायी चीफ के साथ चार महीने से अधिक तक नहीं चलाया जा सकता। बैंकिंग रेगुलेशन ऐक्ट के एक सेक्शन में कहा गया है, 'बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन या मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर पूर्णकालिक आधार पर नियुक्त किसी व्यक्ति की मृत्यु होने या इस्तीफा देने पर या किसी अन्य कारण से अपने कर्तव्यों को पूरा करने में नाकाम होने पर, बैंकिंग कंपनी चार महीने तक की अवधि के लिए रिजर्व बैंक की अनुमति से चेयरमैन या मैनेजिंग डायरेक्टर के कर्तव्यों को पूरा करने के लिए उपयुक्त इंतजाम कर सकती है।'