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मुंबई कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपने शो में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री व शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे का नाम लिए बिना उन्हें ‘गद्दार’ कहा और आपत्तिजनक टिप्पणी की। इसका वीडियो सामने आने के बाद शिवसैनिक भड़क गए और मुंबई स्थित हैबिटेट स्टूडियो में तोड़फोड़ कर दी, जहां विवादित शो की शूटिंग हुई थी। इस मामले में मुंबई पुलिस ने शिवसेना नेता समेत 11 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। हालांकि मुंबई की अदालत ने बाद में सभी को जमानत दे दी।
जानकारी के मुताबिक, खार पुलिस ने शिवसेना युवा सेना (शिंदे गुट) के महासचिव राहुल कनाल (Rahool Kanal) सहित 11 से अधिक शिवसेना कार्यकर्ताओं को स्टूडियो में तोड़फोड़ मामले में गिरफ्तार किया। बाद में उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच बांद्रा कोर्ट में पेश किया गया, जहां राहुल कनाल और 11 अन्य को जमानत मिल गई।
अधिकारियों ने बताया कि राहुल कनाल और 19 अन्य के खिलाफ बीती रात हैबिटेट स्टैंडअप कॉमेडी सेट पर तोड़फोड़ करने के आरोप में खार पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है। उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और आगे की कार्रवाई जारी है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कॉमेडियन कुणाल कामरा की टिप्पणी के बाद शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने रविवार रात खार में हैबिटेट कॉमेडी क्लब में तोड़फोड़ की। वहीँ, वीडियो वायरल होने के बाद शिवसेना विधायक मुरजी पटेल की शिकायत पर देर रात मुंबई के एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में कॉमेडियन के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।
तोड़फोड़ को लेकर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर पर शिवसेना युवा सेना (शिंदे गुट) के महासचिव राहुल कनाल ने कहा, “यह कानून को हाथ में लेने की बात नहीं है। यह पूरी तरह से आपके आत्मसम्मान की बात है। जब बात बुजुर्गों या देश के सम्मानित नागरिकों की आती है… जब आपके बुजुर्गों को निशाना बनाया जाता है, तो आप उस मानसिकता के किसी व्यक्ति को निशाना बनाएंगे… इससे संदेश (कुणाल कामरा के लिए) स्पष्ट है कि ‘अभी तो यह ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है।’ जब भी आप मुंबई में होंगे, आपको शिवसेना स्टाइल में अच्छा सबक सिखाया जाएगा।”
वहीँ, कॉमेडियन कुणाल कामरा विवाद पर महाराष्ट्र सरकार के गृह (शहरी) मंत्री योगेश कदम ने कहा कि संविधान ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की है। लेकिन संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का अपमान करने का अधिकार नहीं दिया गया है। उन्होंने शिवसैनिकों के तोड़फोड़ पर कहा, “जो भी कार्रवाई जरुरी होगी वह की जाएगी।”
छत्रपति संभाजी नगर में पत्रकारों के सवाल पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, “किसी को भी कानून, संविधान और नियमों से परे नहीं जाना चाहिए। उन्हें अपने अधिकारों के अंदर रहकर ही बोलना चाहिए। मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इसमें पुलिस की आवश्यकता न पड़े।”
बता दें कि वायरल वीडियो में कामरा ने सत्तारूढ़ महायुति में शामिल तीनों दलों- बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी का मजाक उड़ाया।
कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ कार्रवाई पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा है। राउत ने कहा, कुणाल कामरा को मैं पहले से जानता हूं। उसने हम पर भी इसी प्रकार से पहले टिप्पणी की है। उन्होंने अगर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की है, तो कार्रवाई की जरुरत नहीं है। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। लेकिन कामरा का ऑफिस और स्टूडियो तोड़ दिया गया। यह गुंडागर्दी है।
संजय राउत ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में गुंडाराज चल रहा है। मुंबई पुलिस कमिश्नर का तबादला होना चाहिए। महाराष्ट्र को बहुत कमजोर गृह मंत्री मिला है। वह गृह मंत्रालय नहीं चला पा रहे हैं। कहीं दंगे हो रहे हैं, गुंडागर्दी हो रही है, उनसे कंट्रोल नहीं हो रहा है। मैं दिल्ली में जाकर बात करूंगा। महाराष्ट्र में जो चल रहा है, उसके लिए आवाज उठानी पड़ेगी।
कामरा के वीडियो को उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने भी सोशल मीडिया पर शेयर किया था और लिखा, ‘‘कुणाल का कमाल।’’ शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने भी कुणाल कामरा का समर्थन किया है।
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सांसदों के वेतन में 24% का इजाफा, हर सांसद को अब 1.24 लाख रुपए मिलेंगे, पूर्व सांसदों की पेंशन बढ़कर 31 हजार
नई दिल्ली. सरकार ने सांसदों की सैलरी में 24 प्रतिशत का इजाफा कर दिया है. सोमवार को संसदीय कार्य मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी की. इसके मुताबिक मौजूदा सांसदों को अब 1.24 लाख रुपए प्रति माह मिलेगा. पहले उन्हें 1 लाख रुपए प्रति माह मिलते थे. यह बढ़ोतरी कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (लागत मुद्रास्फीति सूचकांक) के आधार पर की गई है. बढ़ी हुई सैलरी 1 अप्रैल 2023 से लागू होगी.
डेली अलाउंस और पेंशन भी बढ़ाई गई है. डेली अलाउंस 2,000 रुपए से बढ़ाकर 2,500 कर दिया गया है. पूर्व सांसदों की पेंशन 25,000 रुपए से प्रतिमाह से बढ़ाकर 31,000 रुपए प्रति माह कर दी गई है. पांच साल से ज्यादा समय तक सांसद रहे सदस्यों को हर साल के लिए मिलने वाली एक्स्ट्रा पेंशन भी 2,000 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 2,500 रुपए प्रति माह कर दी गई है.
लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों की संख्या
लोकसभा - कुल सदस्य: 545 (वर्तमान में 543)
निर्वाचित सदस्य: 543 (सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं)
नामित सदस्य: 2 (राष्ट्रपति नॉमिनेट करते हैं)
कार्यकाल: 5 साल
राज्यसभा- कुल सदस्य: 250 (वर्तमान में 245)
निर्वाचित सदस्य: 233 (विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं)
नामित सदस्य: 12 (राष्ट्रपति कला, साहित्य, विज्ञान और सोशल एक्टिविस्ट को चुनते हैं)
कार्यकाल: 6 साल (हर दो साल में 1/3 सदस्य रिटायर होते हैं)
सांसदों को सैलरी-पेंशन के अलावा मुफ्त हवाई, रेल और सड़क यात्रा की सुविधा मिलती है. सांसदों के परिवार के सदस्यों को भी सीमित यात्रा सुविधा मिलती है. इसके अलावा दिल्ली में मुफ्त सरकारी आवास, टेलीफोन, बिजली और पानी पर छूट मिलती है. मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं, सीजीएचएस अस्पतालों में मुफ्त इलाज होता है.
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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका; CJI की इन-हाउस जांच को दी गई चुनौती
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने के दौरान भारी मात्रा में कथित कैश मिलने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा, हेमाली सुरेश कुर्ने, राजेश विष्णु आद्रेकर और चार्टर्ड अकाउंटेंट मंशा निमेश मेहता ने संयुक्त रूप से दायर की है। इस याचिका में जस्टिस वर्मा, सीबीआई, ईडी, आयकर और जस्टिस वर्मा के खिलाफ जांच करने वाली न्यायाधीशों की समिति के सदस्यों को मामले में पक्ष बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस को मुकदमा दर्ज करने और प्रभावी तथा सार्थक जांच करने का निर्देश दिया जाए। इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की ओर से 22 मार्च को गठित तीन सदस्यीय न्यायाधीशों की समिति को जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। वो घटना भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस ) के तहत विभिन्न संज्ञेय अपराधों के दायरे में आती है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा ने दायर याचिका में के. वीरस्वामी बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती दी है। इसमें माना गया था कि किसी मौजूदा हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज पर धारा 154 सीआरपीसी के तहत आपराधिक मामला केवल भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से परामर्श के बाद ही दायर किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जबकि अधिकांश जज ईमानदारी से काम करते हैं। ऐसे में वर्तमान मामले जैसे मामलों को निर्धारित आपराधिक प्रक्रिया से नहीं छोड़ा जा सकता है।
याचिका में आगे कहा गया है “जनता की धारणा यह है कि इस मामले को दबाने की बहुत कोशिश की जाएगी। यहां तक ​​कि पैसे की वसूली के बारे में शुरुआती बयानों का भी अब खंडन किया जा रहा है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा के स्पष्टीकरण के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट और भारी मात्रा में करेंसी नोटों को बुझाने वाले अग्निशमन दल के वीडियो को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करके जनता का विश्वास बहाल करने में कुछ हद तक मदद की है।”
जनहित याचिका में बताया गया है कि इस तरह की जांच करने का अधिकार समिति को देने का निर्णय शुरू से ही निरर्थक है, क्योंकि कॉलेजियम (सुप्रीम कोर्ट) खुद को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं दे सकता। जबकि संसद या संविधान ने ऐसा करने का अधिकार नहीं दिया है। याचिका में कहा गया है “जब अग्निशमन/पुलिस बल ने आग बुझाने के लिए अपनी सेवाएं दीं तो यह बीएनएस के विभिन्न प्रावधानों के तहत दंडनीय संज्ञेय अपराध बन गया और पुलिस का कर्तव्य है कि वह मुकदमा दर्ज करे।”
याचिका में कहा गया है “यह न्याय बेचकर जमा किए गए काले धन को रखने का मामला है। जस्टिस वर्मा के अपने बयान पर विश्वास करने का प्रयास करने पर भी यह सवाल बना हुआ है कि उन्होंने मुकदमा क्यों नहीं दर्ज कराया। पुलिस को साजिश के पहलू की जांच करने में सक्षम बनाने के लिए देर से भी प्राथमिकी दर्ज करना अत्यावश्यक आवश्यक है। ऐसे में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के मामले में याचिकाकर्ताओं की जानकारी में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।”
याचिका में आम जनता और मीडिया का हवाला देकर कहा गया है कि जब 14 मार्च को ये घटना हुई, तो उसी दिन FIR क्यों नहीं दर्ज की गई? किसी को गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया? जब इतनी बड़ी रकम बरामद हुई तो पैसे जब्त क्यों नहीं किए गए? कोई पंचनामा (मौका मुआयना) क्यों नहीं बना? और आपराधिक प्रक्रिया की शुरुआत क्यों नहीं की गई? यह घोटाला सामने आने में पूरे एक हफ़्ते से ज़्यादा का वक्त क्यों लग गया?
याचिका में आगे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की कमेटी बनाकर केवल इन-हाउस (आंतरिक) जांच कराना और FIR दर्ज न करना, आम जनता के हितों के खिलाफ है। इससे न केवल सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका की साख को नुकसान हुआ है, बल्कि अगर न्यायमूर्ति वर्मा के दावे को सही भी मान लिया जाए, तो भी मामला गंभीर है और आंतरिक जांच काफी नहीं है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए सख्त कानून लाया जाए। सरकार को आदेश दिया जाए कि वह न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए Judicial Standards and Accountability Bill, 2010 जैसे कानून को दोबारा लागू करे जो पहले रद्द हो चुका है।
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की सिफारिश की है। वह मूल रूप से इलाहाबाद उच्च न्यायालय से संबंधित थे। उन्हें साल 2021 में दिल्ली लाया गया था। सोमवार को सीजेआई संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एएस ओका वाले कॉलेजियम द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है “सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च 2025 को आयोजित अपनी बैठकों में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की सिफारिश की है।”

 

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नई दिल्ली। दिल्ली के 30 तुगलक रोड स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के बाहर 500 रुपये का जला नोट मिला है. रविवार को जब एनडीएमसी कर्मचारी सफाई करने पहुंचे तो उन्हें कागज के कुछ जले टुकड़े दिखे. कथित तौर पर इसे उठाया तो पता चला ये 500 रुपये का जला हुआ नोट है. पुलिस और जांच एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं, जिसमें जला हुआ नोट और अन्य सामान भी शामिल हैं. जस्टिस वर्मा का आवास 30 तुगलक रोड पर स्थित है, जो एक प्रमुख सरकारी आवास है।
इससे पहले शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक वीडियो जारी किया था जिसमें जस्टिस वर्मा के आवास से जले हुए नोटों की गड्डियां दिख रही थीं. इसके बाद आरोपों की जांच के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।
इस समिति में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधवालिया, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल होंगी. इसके अलावा, जस्टिस यशवंत वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक काम नहीं सौंपने का आदेश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से शनिवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने दिल्ली उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधवालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं.
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को फिलहाल न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपने के लिए कहा गया है. दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जवाब और अन्य दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवासीय बंगले में आग लगने से एक बड़ा खुलासा हुआ था. कथित तौर पर उनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी. इस घटना ने न्यायिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया था. इसने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को भी तत्काल कदम उठाने पर मजबूर कर दिया.
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पेपर लीक के कारण असम बोर्ड ने रद्द की 11वीं कक्षा की सभी परीक्षाएं, 24 से 29 मार्च तक होने थे एग्जाम
दिसपुर। असम राज्य में बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक होने की खबर सामने आई है। इस घटना के बाद असम राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड (ASSEB) ने 11वीं कक्षा की सभी विषयों की परीक्षा रद्द कर दी है। 24 से 29 मार्च तक आयोजित होने वाली इन परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया, जिनमें कुल 36 विषय शामिल थे।
असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने जानकारी दी कि राज्य भर में विभिन्न स्थानों पर प्रश्न पत्र लीक होने की खबरों के बाद यह फैसला लिया गया है। यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी 21 मार्च 2025 को असम राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड (ASSEB) की 11वीं कक्षा की गणित परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, जिसके कारण परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी।
शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” पर एक पोस्ट में कहा, “प्रश्न पत्र लीक और परीक्षा प्रोटोकॉल के उल्लंघन की खबरों के कारण, एचएस प्रथम वर्ष परीक्षा 2025 (24-29 मार्च से निर्धारित) के शेष विषयों की परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं।” मंत्री ने बताया कि परीक्षाओं के नए कार्यक्रम को लेकर सोमवार को बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
एक अन्य पोस्ट में मंत्री ने बताया कि गणित का पेपर इसलिए लीक हुआ क्योंकि राज्यभर में तीन सरकारी संस्थानों सहित 18 स्कूलों ने निर्धारित परीक्षा से एक दिन पहले सुरक्षा सील तोड़ दी थी। इस मामले में असम राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड (एएसएसईबी) ने 10 जिलों के 15 निजी स्कूलों की संबद्धता निलंबित कर दी है।
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नियमों का उल्लंघन करने वाले तीन अन्य स्कूलों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जाएगी और इन स्कूलों को 2025-26 शैक्षणिक वर्ष के लिए कक्षा 11 के छात्रों को प्रवेश देने से रोक दिया गया है।
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जामा मस्जिद के सदर जफर अली गिरफ्तार, 24 नवंबर की हिंसा को लेकर होगी पूछताछ, शहर में बढ़ाई गई सुरक्षा
संभल। जिले के कोतवाली पुलिस ने जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली को 24 नवंबर को हुए बवाल में उनकी कथित भूमिका के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि जफर अली ने उस दिन भड़काऊ बयान दिया था, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी। एसआईटी की जांच में तथ्य सामने आने के बाद उनकी गिरफ्तारी की गई है।
जफर अली की गिरफ्तारी के बाद शहर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है। एएसपी श्रीशचंद ने बताया कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस, पीएसी और आरआरएफ के जवानों को तैनात किया गया है, जबकि अधिकारी फ्लैग मार्च भी कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं।
जफर अली के भाई, ताहिर अली ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके भाई को न्यायिक जांच आयोग के सामने बयान दर्ज कराने थे, लेकिन पुलिस ने सुनियोजित तरीके से गिरफ्तारी की है। ताहिर ने यह भी दावा किया कि जफर अली ने आयोग को बताया था कि गोली पुलिस ने चलाई थी, जिससे पांच लोगों की मौत हुई थी। इसी बयान को दर्ज कराने से पहले ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि ये पहले हरिहर मंदिर था, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। इसे लेकर 19 नवंबर 2024 को संभल कोर्ट में याचिका दायर हुई। उसी दिन सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने मस्जिद के अंदर सर्वे करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम को चार बजे सर्वे के लिए टीम मस्जिद पहुंच गई। 2 घंटे सर्वे किया। हालांकि, उस दिन सर्वे पूरा नहीं हुआ। इसके बाद 24 नवंबर को सर्वे की टीम जामा मस्जिद पहुंची। मस्जिद के अंदर सर्वे हो रहा था। इसी दौरान भारी संख्या में लोग जुट गए। भीड़ ने पुलिस की टीम पर पत्थर फेंके। इसके बाद हिंसा भड़क गई। इसमें गोली लगने से 4 लोगों की मौत हो गई थी।

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सहारनपुर. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में बड़ी वारदात सामने आई है. एक भाजपा नेता ने अपनी पत्नी और 3 बच्चों को गोली मार दी. वारदात में एक 11 साल की बच्ची की मौत हो गई है, जबकि पत्नी और दो बच्चों का इलाज जारी है. पुलिस ने आरोपी योगेश रोहिला को गिरफ्तार कर लिया है, जो भाजपा कार्यकारिणी सदस्य बताया जा रहा है. फायरिंग में एक बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि गंभीर रूप से घायल पत्नी और दो बच्चों को आसपास के लोगों ने जिला अस्पताल में दाखिल करवाया.
आरोपी योगेश कस्बा गंगोह के गांव सांगा-ठेड़ा का रहने वाला है. वह पहले भाजयुमो का जिला उपाध्यक्ष भी रह चुका है. फायरिंग में घायल पत्नी नेहा और बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है. फायरिंग में जिस बच्ची की मौत हुई है, उसका नाम श्रद्धा बताया जा रहा है.
बताया जा रहा है कि घर में कई दिन से विवाद चल रहा था. इसके चलते आरोपी ने शनिवार को पत्नी और 3 बच्चों को बारी-बारी गोलियां मारी. आरोपी ने लाइसेंसी पिस्टल से वारदात को अंजाम दिया. गांव के लोगों ने जैसे ही गोलियों की आवाजें सुनीं, मौके पर जमा हो गए.
लोग जब तक घर के अंदर पहुंचे, आरोपी तब तक बच्चों और पत्नी को गोलियां मार चुका था. ग्रामीणों को देख आरोपी भागने लगा तो लोगों ने उसे पकड़ लिया. इसके बाद आरोपी की जमकर धुनाई की गई. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस ने मौके पर आकर आरोपी को अरेस्ट करने के अलावा घायलों को अस्पताल में दाखिल करवाया.
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फॉर्म हाउस में घुसकर मार दी 500 मुर्गियां, जांच शुरू, आरोपियों की तलाश
रायपुर. छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक साथ 500 मुर्गियों को मारने का मामला सामने आया है, आधी रात की यह घटना दुर्ग से सामने आई है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है कि आखिरकार एक साथ किसी ने 500 मुर्गियों को क्यों मार डाला. पुलिस भी आरोपियों की तलाश में जुटी है. क्योंकि कुछ ही देर में इस घटना को अंजाम दिया गया है, ऐसे में यह किसी एक शख्स के बस की बात नहीं हो सकती है, ऐसे में माना जा रहा है कि इसे किसी ने मिलकर अंजाम दिया होगा, इसलिए पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है.
मामला दुर्ग के जेवरा सिरसा चौकी का बताया जा रहा है. जहां मुर्गी फार्म हाउस में 500 मुर्गियों को मारने का मामला सामने आया है. मामला 18 मार्च को आधी रात के बाद का बताया जा रहा है. जब फार्म हाउस का मालिक जब पहुंचा तो मरी हुई मुर्गियां देखकर वह हैरान रह गया. इस मामले में फार्म हाउस के मालिक ने जेवरा सिरसा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
दुर्ग के ग्राम सिरसा खुर्द में अरविंद सर्वे मुर्गी फार्म है, अरविंद ने अपनी शिकायत में बताया कि 18 मार्च की रात को फार्म हाउस का चौकीदार अपने घर चला गया. इसके बाद वो पहुंचा तो 500 मुर्गियां मरी हुई पाई गई थी. सभी मुर्गियां देशी सोनाली नस्ल की बताई जा रही हैं. बताया जा रहा है कि किसी अज्ञात ने लाठी डंडे से पीट-पीट कर मुर्गियों को मार दिया, इसकी सूचना चौकीदार ने अरविंद सर्वे को दी इसके बाद अरविंद सर्वे ने इसकी शिकायत जेवरा सिरसा चौकी पहुंचकर दर्ज थी. मुर्गियों की अनुमानित कीमत लगभग ढाई लाख रुपए है. फिलहाल इस मामले में जेवरा सिरसा पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
वहीं यह मामला सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है, क्योंकि मुर्गियों को इस तरह से मारने को लेकर सभी सोच में पड़ जाते हैं. मामला पुरानी रंजिश का भी लग रहा है, ऐसे में पुलिस हर एंगल से इसकी जांच कर रही है.
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रेल यात्रियों को तोहफा, टिकट कंफर्म नहीं होने पर भी कर पाएंगे सफर, जानें क्या है भारतीय रेलवे के नए नियम
भारतीय रेलवे नई सर्विस शुरू करने जा रही है. रेलवे की इस सुविधा से ट्रेन में रोजाना सफर करने वाले लाखों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. अपनी यात्रा को सुखद बनाने ज्यादातर लोग ट्रेन का सहारा लेते है. अधिकतर यात्री रिजर्वेशन करवा कर सफर करना पसंद करते है. हालांकि कई बार रिजर्वेशन के बावजूद टिकट कंफर्म नहीं हो पाती, जिससे यात्रियों को निराशा का सामना करना पड़ता है. अब यात्रियों को इस परेशानी को रेलवे दूर करने जा रही है.
ट्रेन के रिजर्व कोच में लोगों को काफी फैसेलिटीज मिलती हैं. टिकट बुकिंग को लेकर रेलवे की ओर से कुछ नियम भी तय किए गए है. कई बार यात्रियों के मन में सवाल भी आता है कि अगर ट्रेन से चार लोगों ने एक साथ टिकट करवाई है. इनमें से तीन की कंफर्म हुई और एक की नहीं. तो वह यात्री कैसे सफर कर सकता है.
अगर एक ही पीएनआर पर चार यात्रियों की टिकट बुक होती है. और इनमें से तीन यात्रियों की टिकट कंफर्म हो जाती है और एक यात्री की टिकट वेटिंग में रह जाती है. तो ऐसे में फिर चौथे यात्री पर आशिक कंफर्म टिकट का नियम लागू होता है. इसके तहत उसे रद्द या कैंसिल नहीं किया जाएगा. वह उस टिकट पर सफर तो कर सकता है, लेकिन उसे सीट नहीं मिलेगी. हालांकि अगर ट्रेन में सफर करते समय कोई सीट अगर खाली होती है उस स्थिति में टीटीई उसे वह सीट दे सकता है.
इसके अलावा अगर चार यात्रियों ने एक साथ टिकट करवाई है. और उनमें से सिर्फ एक की ही टिकट कंफर्म हुई है. बाकी की तीन की कंफर्म नहीं हुई. तो उन तीन यात्रियों की टिकट पर भी यही सेम रूल अप्लाई होता है. एक यात्री को सीट मिलती है. बाकी तीन यात्रियों को सीट नहीं मिलती. सफर में आगे चलकर ट्रेन में अगर कोई सीट खाली होती है. तो टीटीई उनमें से किसी को सीट दे सकता है.

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अवैध मदरसों के खिलाफ सरकार का एक्शन जारी है। गुरुवार को भी प्रशासन और पुलिस टीम ने उत्तराखंड के यूसए नगर में 16 अवैध मदरसे सील किए हैं। कल रुद्रपुर में प्रशासन, शिक्षा विभाग, अल्पसंख्यक विभाग और पुलिस की टीम ने संयुक्त रूप से चार मदरसों को सील किया। किच्छा में आठ मदरसों को सील किया गया। मंगलवार और बुधवार को चले अभियान में कुल 33 मदरसे सील किए गए थे। यूएस नगर जिले में अब तक तीन दिन के अभियान में जिले में 49 मदरसों को सील किया जा चुका है। वहीं हरिद्वार में दो को सील कर दिया गया। एक माह के भीतर राज्य में 110 अवैध मदरसों पर कार्रवाई हुई है।गुरुवार को एसडीएम मनीष बिष्ट, तहसीलदार रुद्रपुर दिनेश कुटोला, शिक्षा विभाग और अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों और पुलिस टीम ने मदरसों की जांच की। तहसीलदार के मुताबिक जांच के दौरान कच्ची खमरिया, ग्राम बडौरा, मल्सी और कुरैया में एक-एक मदरसे को सील किया गया है। उन्होंने बताया कि मदरसों की जांच में स्थायी और अस्थायी मान्यता न होना, सोसायटी रजिस्ट्रेशन न होना, भूमि से संबंधित आवश्यक प्रपत्र न दिखा पाना, बिना कनेक्शन के बिजली का प्रयोग, सरकारी भूमि पर कब्जा जैसी खामियां मिली हैं। उत्तराखंड में एक माह के भीतर धामी सरकार 110 अवैध मदरसे सील कर चुकी है।
उत्तराखंड में अवैध मदरसों के खिलाफ अभियान से हड़कंप मचा हुआ है। बीते दिनों प्रशासन ने देहरादून में भी कई अवैध मदरसे सील किए थे। इसके अलावा हरिद्वार में भी 16 अवैध मदरसों पर ताले जड़ दिए गएहैं। दून में हुई कार्रवाई को लेकर मुस्लिम समाज ने हंगामा भी काटा था। साथ ही कलक्ट्रेट का घेराव भी किया था। बता दें कि सीएम पुष्कर धामी के निर्देश पर पिछले एक महीने से प्रदेश भर में अवैध मदरसों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है। यह मदरसे बिना सरकार की अनुमति के संचालित हो रहे थे। प्रशासन को इस बात की भी जांच के निर्देश दिए गए हैं की इतने बड़े पैमाने पर अवैध मदरसों के पीछे किसका हाथ है। सीएम का संदेश साफ है कि जो भी धर्म की आड़ में अवैध गतिविधियों में संलिप्त होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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अधिकारियों से 10 प्रतिशत कमीशन मांग रहे ‘रेखा के मंत्री’, आतिशी का बड़ा दावा
पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने एक बार फिर दिल्ली की बीजेपी सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक आतिशी ने शुक्रवार को पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार के मंत्री, अधिकारियों से 10 प्रतिशत कमीशन मांग रहे हैं। जब अधिकारी इसका विरोध कर रहे हैं, तो उन्हें धमकाया जा रहा है और निलंबित किया जा रहा है। आतिशी का कहना है कि राजधानी में रेखा के मंत्री गुंड़ागर्दी पर उतार आए हैं। अभी तो अधिकारियों को धमका रहे हैं, आने वाले समय में उनका अत्याचार जनता पर भी बढ़ने वाला है।
आतिशी का कहना है कि शुक्रवार की सुबह से ही बीजेपी के मंत्री प्रवेश वर्मा दिल्ली सरकार के अधिकारियों को गालियां दे रहे हैं। उन पर गलत आरोप लगा रहे हैं। वर्मा कह रहे हैं कि अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं, लेकिन यही अधिकारी पिछले 10 साल से दिल्ली में शानदार काम कर रहे थे। आखिर ऐसा क्या हुआ कि अब उन्होंने काम करना बंद कर दिया है?
नेता प्रतिपक्ष आतिशी का दावा है कि राजधानी में अधिकारियों को धमकाया जा रहा है और जब वे भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे हैं, तो उन्हें निलंबित किया जा रहा है। दिल्ली के अधिकारियों ने हमें फोन करके बताया कि भाजपा सरकार के मंत्री हर काम में 10 प्रतिशत कमीशन मांग रहे हैं। जब अधिकारी इसका विरोध ​करते हैं तो उनको धमकी दी जाती है कि ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
पूर्व सीएम आतिशी ने कहा कि भाजपा सरकार बने अभी सिर्फ एक महीना हुआ है और उनके मंत्री बहाने बनाने लगे हैं। पिछले एक महीने में भाजपा नेता केवल आम आदमी पार्टी (आप) और अरविंद केजरीवाल को गालियां देने में व्यस्त रहे हैं। आम आदमी पार्टी की जनहितकारी योजनाओं को रोकने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अब अधिकारी भी परेशान हो चुके हैं और अपना ट्रांसफर कराने की कोशिश कर रहे हैं।
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'वक्ष स्पर्श करना और वस्त्र का नाड़ा खोलना दुष्कर्म नहीं'... फैसले पर विवाद बढ़ा, राज्यसभा सांसद ने भी जताई आपत्ति
नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले पर देशभर में चर्चा हो रही है। साथ ही लोगों की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। इस फैसले में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने दुष्कर्म की एक याचिका पर सुनवाई करते कहा था कि वक्ष स्पर्श करना और वस्त्र का नाड़ा खोलना दुष्कर्म नहीं है।
जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने इसे दुष्कर्म न मानते हुए ‘गंभीर यौन उत्पीड़न’ माना। अब इस फैसले और जज की टिप्पणी पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं।
राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अभी प्रतिक्रिया दी है। रेखा शर्मा ने कहा है कि यह गलत है और राष्ट्रीय महिला आयोग को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रेखा शर्मा ने आगे कहा- अगर न्यायाधीश संवेदनशील नहीं हैं, तो महिलाएं और बच्चे क्या करेंगे? उन्हें इस कृत्य के पीछे की मंशा को देखना चाहिए। यह पूरी तरह से गलत है और मैं इसके खिलाफ हूं।
यह मामला कासगंज जिले का है। आकाश, पवन व अशोक पर आरोप हैं कि उन्होंने 11 वर्षीय पीड़िता के वक्ष पकड़े, उसका नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन राहगीरों के हस्तक्षेप के कारण उसे छोड़ कर मौके से भाग निकले।
पुलिस ने पास्को एक्ट के तहत केस दर्ज किया था और कार्रवाई की थी। साथ ही पटियाली थाने में आईपीसी की धारा 376 के तहत मुकदमा चलाया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि दुष्कर्म के आरोप में जारी समन विधिसम्मत नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य इस मामले में दुष्कर्म का अपराध नहीं बनाते हैं। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 354-बी आईपीसी (निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के मामूली आरोप के साथ पॉक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।

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बिजनौर के धामपुर में एक अजीब-गरीब मामला सामने आया, जहां ट्रैफिक पुलिस ने कार चालक का हेलमेट न पहनने के कारण 1000 रुपए का चालान काट दिया। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लोकेंद्र सिंह को पुलिस का मैसेज मिला तो वे हैरान रह गए।
डॉक्टर का कहना है कि जिस समय चालान काटा गया, उस दौरान उनकी कार स्कूल परिसर में थी और बाहर निकली ही नहीं थी। इसका सीसीटीवी फुटेज भी मौजूद है, जिससे पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं।
पुलिस की इस कार्रवाई के विरोध में डॉक्टर के मैनेजर भूपेंद्र सिंह ने हेलमेट पहनकर कार चलाना शुरू कर दिया। जब उन्होंने ट्रैफिक पुलिस से संपर्क किया तो उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया।
डॉक्टर ने इस मामले को कोर्ट में ले जाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के तहत इस तरह का चालान समझ से परे है और यह पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है।
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6 महीने में सस्ती होंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियां, बराबर होंगे EV और पेट्रोल वाहन के रेट
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अगले 6 महीनों में इलेक्ट्रिक और पेट्रोल गाड़ियों के दाम बारबार हो जाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली को देहरादून से जोड़ने वाले 212 किलोमीटर लंबे एक्सेस-कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे (Delhi Dehradun Expressway) का काम भी अगले तीन महीने में पूरा हो जाएगा, जिससे सफर बेहद आसान हो जाएगा। दरअसल, उन्होंने ये घोषणा 32वें कन्वर्जेंस इंडिया और 10वें स्मार्ट सिटीज इंडिया
गडकरी ने एक्सपो में कहा कि सरकार की नीति देश में कम कीमत वाले, प्रदूषण मुक्त और स्वदेशी वाहन उत्पादन को बढ़ावा देने की है। उन्होंने बताया कि अगले छह महीनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत पेट्रोल वाहनों के बराबर हो सकती है। फिलहाल, इलेक्ट्रिक गाड़ियां पेट्रोल वाहनों की तुलना में दो से तीन गुना महंगी होती हैं, जिससे लोग इन्हें खरीदने में हिचकिचाते हैं। अगर इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल कारों की कीमत में मिलने लगेंगे, तो यह EV सेक्टर के लिए बड़ा बदलाव साबित होगा।
गडकरी ने कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अब देश को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने की जरूरत है। बेहतर सड़कें बनाने से परिवहन लागत को कम किया जा सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। उन्होंने देश के उज्जवल आर्थिक भविष्य की बात करते हुए कहा कि सरकार स्मार्ट सिटी और स्मार्ट ट्रांसपोर्ट के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
देश में जल्द ही इलेक्ट्रिसिटी से सार्वजनिक वाहन दौड़ने लगेंगे, जो तेज गति से गंतव्य पर पहुंचाएंगे। गडकरी ने कहा कि अब हम इलेक्ट्रिसिटी पर मास रैपिड ट्रांसपोर्ट की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने सड़क निर्माण में नई टेक्नोलॉजी और आविष्कारों को बढ़ावा देने की जरूरत बताई जो सड़क निर्माण की लागत को कम कर सकते हैं।
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बस्तर में दो मुठभेड़ में 22 नक्सली को मार गिराया, बीजापुर 18, कांकेर में 4 का एनकाउंटर, भारी मात्रा में हथियार बरामद
जगदलपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर में सुरक्षाबलों के साथ हुई दो मुठभेड़ में 22 नक्सलियों को मार गिराया है. बीजापुर में 18 व कांकेर में 4 नक्सली मारे गए हैं. इसके कब्जे से भारी मात्रा में ऑटोमैटिक हथियार बरामद कर सभी के शव बरामद कर लिए गए हैं. वहीं डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) का एक जवान शहीद हो गया है.
पुलिस अधिकारियों को खबर मिली कि गंगालूर क्षेत्र में बड़ी संख्या में नक्सली मूवमेंट चल रहा है. जिसपर दंतेवाड़ा-बीजापुर बॉर्डर पर पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन लॉन्च किया. एक दिन पहले जवानों ने एंड्री इलाके को घेर लिया. इसके बाद आज गुरुवार की सुबह से ही जवानों की नक्सलियों के साथ मुठभेड़ शुरू हो गई. दोनों ओर से हो रही लगातार फायरिंग में सुरक्षाबलों ने 22 नक्सलियों को मार गिराया. वहीं सुरक्षाबल का एक जवान शहीद हो गया. अधिकारियों का कहना है कि मुठभेड़ अभी भी जारी है. खत्म होने के बाद ही सारी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. दंतेवाड़ा में हिरोली से जवान निकले हैं. यहां पर भी सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच लगातार फायरिंग की जा रही है.
बीजापुर-दंतेवाड़ा बॉर्डर पर नक्सलियों के कोर इलाके में फोर्स घुसी है. जवानों ने नक्सलियों के बड़े कैडर्स को घेर रखा है. दोनों तरफ से फायरिंग अब भी जारी है. वहीं नारायणपुर-दंतेवाड़ा बॉर्डर पर स्थित थुलथुली इलाके में आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आने से दो जवान जख्मी हो गए है. दोनों की हालत खतरे से बाहर है. यहां भी सर्च ऑपरेशन चल रहा है. मारे गए नक्सलियों के शवों को बरामद कर भारी मात्रा में आटोमैटिक हथियार बरामद कर लिए गए है.
छत्तीसगढ़ में इस साल अब तक 71 नक्सली मारे गए हैं, पुलिस अधिकारियों के अनुसार अलग-अलग मुठभेड़ों में जवानों ने करीब 300 नक्सलियों को ढेर किया है, 290 हथियार जब्त किए गए हैं.
छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर 1 महीने पहले 9 फरवरी को 1000 से ज्यादा जवानों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया था. सभी के शव रिकवर कर लिए गए थे. मुठभेड़ बीजापुर के इंद्रावती नेशनल पार्क इलाके में हुई थी. इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के दो जवान भी शहीद हुए थे.