बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मंगलवार को बड़ा रेल हादसा हो गया। बिलासपुर-कटनी रेल मार्ग पर कोरबा पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी के बीच जोरदार टक्कर हो गई। हादसे में अब तक 07 यात्रियों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई घायल बताए जा रहे हैं। घटना के बाद रेलवे और जिला प्रशासन की टीम राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है। हादसे की वजह का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन माना जा रहा है कि सिग्नल या तकनीकी गड़बड़ी के कारण यह टक्कर हुई होगी।
यह हादसा बिलासपुर-कटनी रेल सेक्शन के लाल खदान इलाके में हुआ, जो देश के सबसे व्यस्त रेल मार्गों में से एक है। हादसे के बाद इलाके में अफरातफरी मच गई। स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और यात्रियों की मदद में जुट गए। रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और रेस्क्यू अभियान शुरू किया।
रेलवे प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव दल को मौके पर रवाना किया। मेडिकल यूनिट और एम्बुलेंस की मदद से घायलों को नजदीकी अस्पताल भेजा गया है। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को बिलासपुर और कोरबा के बड़े अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है।
हादसे के बाद पूरे रेल मार्ग पर परिचालन ठप हो गया है। ओवरहेड वायर और सिग्नल सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा है, जिससे बहाली में समय लग सकता है। रेलवे ने कई ट्रेनों को रद्द या डायवर्ट कर दिया है। यात्रियों को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दूसरी ट्रेनों या बसों से गंतव्य तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
रेलवे प्रशासन ने इस भीषण हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। शुरुआती जानकारी के अनुसार, सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी या मानवीय भूल की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा। अधिकारी ब्लैक बॉक्स और इंजन रिकॉर्डिंग के डेटा की जांच कर रहे हैं, ताकि घटना के सही कारणों का पता लगाया जा सके।
स्थानीय लोगों के अनुसार, टक्कर इतनी जोरदार थी कि पैसेंजर ट्रेन के डिब्बे मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गए। कई यात्री अंदर फंसे रह गए। लोगों ने शीशे तोड़कर घायलों को बाहर निकाला। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि चारों ओर चीख-पुकार मची हुई थी।
हादसे के बाद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने यात्रियों और परिजनों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। ये नंबर यात्रियों की जानकारी और सहायता के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहेंगे।
चंपा जंक्शन : 808595652
रायगढ़ : 975248560
पेंड्रा रोड : 8294730162
इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर 9752485499 और 8602007202
-------------------------------
SIR: 10 बड़ी बातों को जान लीजिये, आखिर मतदाता सूची में संशोधन की इस प्रक्रिया को लेकर क्यों मचा है हंगामा
नई दिल्ली। देशभर में चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की शुरुआत होते ही राजनीति गर्मा गई है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना बताया जा रहा है, लेकिन विपक्षी दल इसे नागरिकता और मताधिकार से जुड़े अधिकारों पर हमला बता रहे हैं। आइए जानते हैं एसआईआर से जुड़ी 10 बड़ी बातें, जो आपके लिए जानना जरूरी हैं-
1. क्यों हो रहा है एसआईआर?
चुनाव आयोग के अनुसार, एसआईआर का मुख्य उद्देश्य अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान करना और उन्हें मतदाता सूची से हटाना है। इसके तहत मतदाताओं के जन्म स्थान और नागरिकता से जुड़ी जानकारी की जांच की जाएगी। हाल के महीनों में बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों पर हुई कार्रवाई के बाद यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।
2. किन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हो रहा है एसआईआर
यह प्रक्रिया देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शुरू की गई है- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल। इनमें से तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए इस प्रक्रिया को राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है।
3. कब तक चलेगी प्रक्रिया
एसआईआर की गणना प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक चलेगी। चुनाव आयोग 9 दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची (Draft Roll) जारी करेगा, जबकि 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।
4. क्या है एसआईआर का उद्देश्य?
चुनाव आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि, कोई भी योग्य मतदाता सूची से बाहर न रह जाए और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो। इसके अलावा, आयोग का यह भी मानना है कि यह कदम मतदाता सूची की पारदर्शिता और शुद्धता सुनिश्चित करेगा।
5. पिछले एसआईआर का संदर्भ?
बिहार में 2003 में हुई मतदाता सूची का पुनरीक्षण इस प्रक्रिया का आधार बना था। उसी की तर्ज पर अब बाकी राज्यों में भी मतदाता सूची की कट-ऑफ डेट तय की जाएगी। अधिकांश राज्यों में पिछला एसआईआर 2002 से 2004 के बीच हुआ था।
6. राजनीतिक विवाद: बंगाल और तमिलनाडु में विरोध
इस प्रक्रिया के खिलाफ सबसे पहले आवाज तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से उठी। डीएमके (DMK) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि एसआईआर असंवैधानिक और मनमाना है। वहीं, टीएमसी (TMC) ने इसे भाजपा की साजिश बताते हुए कहा कि यह कदम बंगालियों को विदेशी करार देने का प्रयास है। दोनों ही दलों ने आरोप लगाया कि, चुनाव आयोग भाजपा के दबाव में काम कर रहा है।
7. सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
डीएमके ने 27 अक्टूबर की चुनाव आयोग की अधिसूचना को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करती है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर जल्द सुनवाई हो सकती है।
8. बंगाल में टीएमसी का प्रदर्शन और भाजपा का पलटवार
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी मंगलवार को कोलकाता में इस प्रक्रिया के खिलाफ मार्च निकालेंगे। वहीं, भाजपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पलटवार करते हुए कहा कि टीएमसी का विरोध अवैध घुसपैठियों को बचाने की कोशिश है। अधिकारी खुद भी उत्तर 24 परगना जिले में रैली निकालेंगे और घुसपैठियों को हटाने की मांग करेंगे।
9. दस्तावेज क्या दिखाने होंगे?
एसआईआर के दौरान नागरिकों को अपनी पहचान साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज दिखाने होंगे, जैसे-
वोटर कार्ड या आधार कार्ड
पासपोर्ट/जन्म प्रमाण पत्र
पेंशन भुगतान आदेश
शैक्षणिक प्रमाणपत्र
जाति प्रमाणपत्र (OBC/SC/ST)
परिवार रजिस्टर या स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी प्रमाणपत्र
भूमि/मकान आवंटन पत्र
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां लागू हो)
10. आगे का रास्ता
जहां भाजपा इस प्रक्रिया को पारदर्शिता की दिशा में कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे मतदाता सूची से छेड़छाड़ का हथियार मान रहा है। आगामी महीनों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, और राजनीतिक दलों के विरोध प्रदर्शन यह तय करेंगे कि एसआईआर केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया रह जाएगी या फिर यह राष्ट्रीय बहस का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन जाएगी।
---------------------------------
आपसी संबंधों में गलत तरीके से उपयोग…शीर्ष अदालत ने POCSO के दुरुपयोग पर जताई गहरी चिंता, कहा- जागरूकता की सख्त जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण करने के लिए बनाये गए अधिनियम (पॉक्सो कानून) का गलत इस्तेमाल बढ़ रहा है। अदालत ने देखा कि इस कानून का उपयोग कई बार पति-पत्नी के झगड़ों या किशोर-किशोरी के आपसी सहमति वाले संबंधों में किया जा रहा है, जो कानून की असली भावना के खिलाफ है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में मांग की गई है कि लोगों को दुष्कर्म और पॉक्सो कानून के प्रावधानों के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि देश में महिलाओं और लड़कियों के लिए माहौल और सुरक्षित बने।
इस सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, ‘हम यह देख रहे हैं कि कई बार पॉक्सो एक्ट का इस्तेमाल झगड़ों या किशोरों के आपसी संबंधों में गलत तरीके से किया जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि लड़कों और पुरुषों में इस कानून की जानकारी और समझ बढ़ाई जाए।’
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर तक टाल दी है, क्योंकि कुछ राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक इस मुद्दे पर अपनी राय नहीं दी है। पहले, अदालत ने केंद्र सरकार, शिक्षा मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद हर्षद पोंडा ने अदालत से कहा कि लोगों को यह बताया जाना जरूरी है कि निर्भया कांड के बाद दुष्कर्म से जुड़े कानूनों में क्या बदलाव हुए हैं।
जनहित याचिका में मांग की गई है कि शिक्षा मंत्रालय सभी स्कूलों को यह निर्देश दे कि बच्चों को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से जुड़े कानूनों की बुनियादी जानकारी दी जाए। नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए ताकि बच्चों को लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकार और सम्मानजनक जीवन के महत्व के बारे में सिखाया जा सके।
इस याचिका में यह भी कहा गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा सीबीएफसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फिल्मों और मीडिया के माध्यम से जनता को दुष्कर्म जैसे अपराधों के दुष्परिणाम और सजा के बारे में जागरूक किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि लड़कियों की सुरक्षा सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि समाज की सोच बदलने से संभव है, और यह बदलाव स्कूल स्तर से शुरू होना चाहिए।