गाजियाबाद में एक कपल को अपनी मकान मालकिन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. मर्डर उस वक्त किया गया, जब मकान मालकिन उनसे बकाया किराया मांगने गई थीं. मृतका की पहचान 48 वर्षीय दीपशिखा शर्मा के रूप में हुई है. पुलिस ने उसका शव उसी फ्लैट से एक सूटकेस में बरामद किया है. पुलिस ने आरोपी दंपत्ति, अजय गुप्ता और आकृति गुप्ता को हिरासत में ले लिया है.
मामला राज नगर एक्सटेंशन की ऑरा चिमेरा सोसाइटी का है. पुलिस के मुताबिक उमेश शर्मा और दीपशिखा शर्मा के पास इस सोसाइटी में दो फ्लैट हैं. एक में वे खुद रहते हैं और दूसरा गुप्ता परिवार को किराए पर दे रखा था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी अजय गुप्ता ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करते हैं.
आरोपियों ने पिछले चार महीनों से घर का किराया नहीं दिया था. ऐसे में मकान मालकिन दीपशिखा उनसे किराए मांगने के लिए बुधवार उनके फ्लैट पर ही चली गईं. उस वक्त दीपशिखा के पति घर पर नहीं थे. जब वह काफी घंटों बाद भी घर नहीं लौटी तो उनकी घरेलू सहायिका मीना ने उन्हें ढूंढ़ना शुरू किया.
अपनी मालकिन को ढूंढ़ने मीना किराएदारों के फ्लैट पर भी गई थीं. लेकिन उन्हीं के जवाब से उसे शक हुआ. इसके बाद मीना ने बिल्डिंग की CCTV फुटेज चेक की. सीसीटीवी में दीपशिखा उस फ्लैट में घुसते हुए तो दिख रही हैं, लेकिन वह बाहर नहीं निकलतीं. इसके बाद पुलिस को इसकी जानकारी दी गई. उसी वक्त आरोपी मियां-बीवी को एक बड़ा सूटकेस लेकर बिल्डिंग से बाहर निकलते देखा गया. इसके बाद उन्होंने एक ऑटो-रिक्शा भी बुलाया. लेकिन वे भाग पाते, उससे पहले ही मीना ने उन्हें रोक लिया. इसके बाद दोनों को वापस फ्लैट पर ले जाया गया.
पुलिस के आने पर जब उस फ्लैट की तलाशी ली गई, तो दिल दहला देने वाला खुलासा हुआ. दीपशिखा शर्मा का शव एक लाल रंग के सूटकेस में था. इसके बाद दोनों को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया. दोनों आरोपियों ने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है. पुलिस ने बताया कि जब वह किराए मांगने आईं तो उनका आपस में विवाद हो गया. इसके बाद उसके सिर पर वार करके उसका मर्डर कर दिया गया.
पुलिस के मुताबिक, पहले दीपशिखा के सिर पर प्रेशर कूकर से चोट मारी गई और उसके बाद दुपत्ते से गला दबाकर मार दिया. जब उन्हें फंसने का डर सताने लगा तो उन्होंने शव को ठिकाने लगाने के लिए सूटकेस में भर दिया.
एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दोनों आरोपी हत्या की बात कबूल करते दिख रहे हैं. जहां अजय गुप्ता अपनी बीवी आकृति को बचाने की कोशिश कर रहा है, वहीं आकृति कहती दिख रही है कि हमने यह साथ मिलकर किया है.
गाजियाबाद की एसीपी उपासना पांडे ने कहा, ’17 दिसंबर को थाने को जानकारी मिली की Aura Chimera सोसाइटी में एक महिला की हत्या हो गई है. टीम वहां पहुंची तो जानकारी मिली की दीपशिखा शर्मा नाम की महिला अपने दूसरे फ्लैट जो उन्होंने किराए पर दे रखा था से किराया लेने गई थीं. देर तक नहीं लौटी थी तो उनकी घरेलू सहायिका को शक हुआ. उसी नहीं पुलिस को इसकी जानकारी दी. जब उस घर की तलाशी ली गई तो एक लाल रंग के सूटकेस में महिला का शव मिला. इसके बाद पुलिस ने शव को बरामद कर लिया. दोनों आरोपियों ने गुनाह कबूल कर लिया और दोनों पुलिस हिरासत में हैं. पुलिस मामले की जांच कर रही है.’
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मेवाड़ शाही परिवार का संपत्ति विवाद पहुंचा SC, दिल्ली HC में होगी सुनवाई
मेवाड़ के शाही परिवार की संपत्तियों के बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। यह मामला उदयपुर के सिटी पैलेस, HRH होटल्स ग्रुप और अन्य शाही संपत्तियों के नियंत्रण से जुड़ा है। विवाद महाराजा अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और उनकी बेटी पद्मजा कुमारी परमार के बीच है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत की वैधता को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया गया कि यह मामला उत्तराधिकार और संपत्ति के बंटवारे से जुड़ा है।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहे मामलों को राजस्थान हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी। वहीं, दूसरी ओर से जोधपुर बेंच, राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित मामलों को बॉम्बे हाईकोर्ट भेजने की अपील की गई।
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर यह तय किया गया कि परिवार से जुड़े सभी मामले अब दिल्ली हाईकोर्ट में सुने जाएंगे। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट को निर्देश दिए हैं कि सभी संबंधित दस्तावेज दिल्ली हाईकोर्ट भेजे जाएं। मामले की सुनवाई जनवरी 2026 में होगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर परिवार के बीच कोई और मुकदमे लंबित हैं, तो उन्हें भी दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया जा सकता है।
सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि विवाद में भारी मात्रा में आभूषण और अन्य कीमती चल संपत्तियां शामिल हैं। इनकी सुरक्षा और प्रबंधन के लिए एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करने से जुड़ा एक आवेदन भी लंबित है।
1930 से 1955 तक मेवाड़ रियासत पर महाराणा भूपाल सिंह का शासन रहा। उनकी कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने भगवत सिंह मेवाड़ को गोद लिया। भूपाल सिंह ने अपने अंतिम समय में, अप्रैल 1955 में, एकलिंगजी ट्रस्ट की स्थापना की।
भगवत सिंह मेवाड़ की तीन संतानें थीं- दो बेटे महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह, और एक बेटी योगेश्वरी कुमारी। साल 1983 में भगवत सिंह ने पारिवारिक संपत्तियों को बेचने और लीज पर देने का फैसला किया, जिसका महेंद्र सिंह ने विरोध किया और कोर्ट चले गए।
इससे नाराज होकर भगवत सिंह ने संपत्ति और वसीयत से जुड़े अधिकार छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को सौंप दिए। इसके बाद महेंद्र सिंह को ट्रस्ट और संपत्ति से लगभग बाहर कर दिया गया।
3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह मेवाड़ के निधन के बाद परिवार का संपत्ति विवाद और गहरा गया। यह कानूनी लड़ाई करीब 37 साल तक चली।
साल 2020 में उदयपुर की जिला अदालत ने संपत्ति को चार हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। एक हिस्सा भगवत सिंह मेवाड़ के नाम और बाकी तीन हिस्से उनकी तीनों संतानों के बीच बांटे गए।
अदालत के फैसले तक ज्यादातर संपत्तियां अरविंद सिंह मेवाड़ के कब्जे में रहीं। महेंद्र सिंह और योगेश्वरी कुमारी को सीमित हिस्सा मिला। कोर्ट ने शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों पर रोक भी लगाई थी।
इसी साल 16 मार्च को अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन हो गया। उनकी तीन संतानें हैं- एक बेटा लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और दो बेटियां भार्गवी कुमारी मेवाड़ और पद्मजा कुमारी मेवाड़।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ मेवाड़ परिवार के उत्तराधिकारी और HRH ग्रुप ऑफ होटल्स के मालिक हैं। अब उनका संपत्ति विवाद अपनी बहन पद्मजा कुमारी मेवाड़ के साथ कोर्ट में चल रहा है।
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लोकसभा में हंगामे के बीच VB-G RAM G बिल पास, विपक्ष ने फाड़े कागज
नई दिल्ली. विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल यानी VB-G RAM G पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने लोकसभा में जवाब दिया. इस दौरान विपक्ष बिल के विरोध में जमकर नारेबाजी की. विपक्षी सांसद वेल में पहुंच गए और कागज फेंके. हंगामे के बीच बिल ध्वनिमत से पास हो गया.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मनरेगा का नाम पहले पहले महात्मा गांधी के नाम पर नहीं रखा गया. वो तो पहले नरेगा थी. बाद में जब 2009 के चुनाव आए तब चुनाव और वोट के कारण महात्मा गांधी याद आए. बापू याद आए. तब उसमें जोड़ा गया महात्मा गांधी. इससे पहले विपक्ष ने इस बिल के विरोध में संसद परिसर में मार्च निकाला.
इसमें विपक्ष के 50 से ज्यादा सांसदों ने हिस्सा लिया और VB-G RAM G बिल वापस लेने के नारे लगाए. बुधवार को लोकसभा में VB-G RAM G बिल पर 14 घंटे चर्चा हुई. कार्यवाही देर रात 1.35 बजे तक चली. इसमें 98 सांसदों ने हिस्सा लिया. विपक्ष ने मांग की कि प्रस्तावित कानून को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए. यह 20 साल पुराने MGNREG एक्ट की जगह लेगा.
भाजपा सांसद किरण चौधरी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य लंबे समय से चली आ रही बिखरी हुई व्यवस्था और नीतिगत गतिरोध को समाप्त करना है. यह बिल पुराने बिखरे हुए नियमों को निरस्त कर उनकी जगह लाइसेंसिंगए सुरक्षा एप्रूवल, जवाबदेही और मुआवजे को कवर करने वाला एक फ्रेमवर्क लागू करता है. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और जन सुरक्षा पर स्पष्ट ध्यान केंद्रित करते हुए एक ठोस नींव रखी थीए और अब इस दृष्टिकोण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार रूप दिया है और आगे बढ़ाया है. वे कहती हैं कि विपक्ष निजीकरण को लेकर बेबुनियाद हंगामा कर रहा है. लेकिन हम जानते हैं कि देश की रक्षा कैसे करनी है.
जयराम रमेश ने कहा कि विकास को सार्वजनिक क्षेत्र ऑपरेट करे. यदि इसे निजी क्षेत्र ने अपने हाथ में ले लिया तो यह डॉण् होमी भाभा और विक्रम साराभाई जैसे हमारे परमाणु कार्यक्रमों का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिकों की दृढ़ मान्यताओं की अनदेखी करने के बराबर होगा. राज्यसभा में जयराम रमेश बोले. हमें थोरियम भंडार का उपयोग करना चाहिए. राज्यसभा में बिल पर चर्चा जारी है. कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि डॉ होमी भाभा ने तीन चरणों की रूपरेखा प्रस्तुत की.
यूरेनियम, प्लूटोनियम-थोरियम और थोरियम-यूरेनियम. आज हमने पहला चरण तो पार कर लिया हैए लेकिन दूसरे चरण में अटके हुए हैं. हमारे पास दुनिया के थोरियम भंडार का एक चौथाई हिस्सा हैए हम यूरेनियम की कमी वाले देश हैंए जबकि थोरियम समृद्ध हैं. उन्होंने डॉ अनिल काकोडकर का हवाला देते हुए कहा कि हमें पहले चरण में भी थोरियम का उपयोग करना चाहिएए ताकि हम सीधे तीसरे चरण में पहुंच सकें. यदि हम ऊर्जा सुरक्षा चाहते हैं, तो हमें थोरियम भंडार का उपयोग करना चाहिए.