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डॉक्टर से 3 करोड़ से ज्यादा की ठगी करने वाले 7 आरोपी गिरफ्तार

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इंदौर। में एक डॉक्टर को शेयर मार्केट में निवेश का लालच देकर 3 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी करने वाले गिरोह के 7 आरोपियों को क्राइम ब्रांच पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी व्हाट्सएप के जरिए डॉक्टर के संपर्क में आए और उन्हें ‘वेब बुल’ नामक वेबसाइट पर ट्रेडिंग के लिए प्रेरित किया। शुरुआती मुनाफे के झांसे में आकर डॉक्टर ने 1 करोड़ रुपए तक का निवेश कर दिया, लेकिन जब उन्होंने राशि निकालनी चाही तो ठगी का खुलासा हुआ।
क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराते हुए फरियादी डॉक्टर ने बताया कि कुछ समय पहले उनकी व्हाट्सएप पर एक युवती से बातचीत हुई, जिसने उन्हें शेयर बाजार में निवेश कर अच्छा मुनाफा कमाने का लालच दिया। युवती ने उन्हें ‘वेब बुल’ नाम की एक वेबसाइट पर अकाउंट बनाने के लिए कहा, जहां शुरुआती निवेश के बाद उन्हें दो बार ट्रेडिंग में लाभ भी मिला। इससे डॉक्टर को भरोसा हो गया कि प्लेटफॉर्म असली है और उन्होंने निवेश बढ़ा दिया
शुरुआत में लाभ दिखाने के बाद आरोपियों ने असली जाल बिछाया और डॉक्टर को बार-बार अधिक पैसे लगाने के लिए उकसाते रहे। जब निवेश की राशि 1 करोड़ तक पहुंच गई और डॉक्टर ने पैसे निकालने की कोशिश की, तो उन्हें वेबसाइट से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। जब उन्होंने वहां दिए गए कस्टमर केयर नंबर पर संपर्क किया, तो अलग-अलग बहाने बनाकर उनसे और पैसे मांगे गए।
आरोपियों ने ‘इंटरनेशनल सिक्योरिटी टैक्स’, ‘सरकारी शुल्क’, ‘रजिस्ट्रेशन चार्ज’ जैसे फर्जी बहाने बनाकर डॉक्टर से करीब 3 करोड़ रुपए तक की ठगी कर ली। ये रकम 103 अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी गई थी।
पुलिस ने इस मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जो इस ऑनलाइन ठगी गैंग के लिए काम कर रहे थे। जांच में सामने आया कि ठगों ने कई बैंक खातों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके रुपए ट्रांसफर किए थे। क्राइम ब्रांच ने इन सभी खातों को फ्रीज करवा दिया है और अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
यह मामला ऑनलाइन ठगी के बढ़ते खतरों को उजागर करता है। क्राइम ब्रांच ने लोगों से अपील की है कि वे अनजान वेबसाइट्स पर निवेश करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करें और किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज के झांसे में न आएं। पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है ताकि ठगी के शिकार अन्य लोगों को भी न्याय मिल सके।
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बंद कमरे में पति को बेरहमी से पीटा, पति चिल्लाया ‘मम्मी बचाओ
सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक पति की घरेलू हिंसा का शिकार होने की घटना सामने आई है, जिसका वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में एक पत्नी अपने पति को कमरे में बंद करके बेरहमी से पीटती नजर आ रही है, जबकि पति “मम्मी बचाओ, मम्मी बचाओ” की गुहार लगा रहा है।
दरअसल, ये मामला सतना के कोलगवां थाना क्षेत्र के सिंधी कैंप का है। पीड़ित पति की पहचान अंकित आसवानी के रूप में हुई है। अंकित और उसकी पत्नी ज्योति ने चार साल पहले प्रेम विवाह किया था, लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद ही दोनो के बीच विवाद शुरू हो गया। पत्नी ने पति पर मारपीट और पैसे न देने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था।
पति अंकित का कहना है कि पत्नी उसे लगातार प्रताड़ित कर रही थी। उसने अपनी पिटाई के सुबूत जुटाने के लिए घर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए। बीते रविवार को जब पत्नी ज्योति ने कमरा बंद करके पति को पीटा, तो पूरा घटनाक्रम कैमरे में रिकॉर्ड हो गया। इसके बाद अंकित ने वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया, जो अब तेजी से वायरल हो गया।
पीड़ित अंकित ने आरोप लगाया कि पत्नी उससे 10 लाख रुपए की मांग कर रही है और लगातार मारपीट कर रही है। उसने कोलगवां थाना पहुंचकर सुरक्षा की गुहार लगाई।
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मप्र हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही निपटाए जाएंगे जैन समाज के वैवाहिक विवाद
इंदौर। जैन समाज के वैवाहिक मामले हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही सुने और निराकृत किए जाएंगे। कुटुंब न्यायालय के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश ने यह निष्कर्ष निकालकर कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के प्रविधान जैन समुदाय पर लागू नहीं होते हैं, गंभीर त्रुटि की है। वर्ष 2014 में जैन समुदाय को भले ही अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया गया, लेकिन उन्हें किसी भी मौजूदा कानून के तहत आवेदन करने के अधिकार से वंचित नहीं किया गया है।
कुटुंब न्यायालय को लग रहा था कि जैन समुदाय के मामले हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निराकृत नहीं किए जा सकते हैं, तो कुटुंब न्यायालय को मामले को उच्च न्यायालय को रेफर कर देना था, लेकिन ऐसा नहीं किया। इस टिप्पणी के साथ मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने कुटुंब न्यायालय के आठ फरवरी 2025 के निर्णय को निरस्त कर दिया। कुटुंब न्यायालय ने इस निर्णय में जैन दंपती (नीतेश-शिखा) द्वारा विवाह-विच्छेद के लिए प्रस्तुत याचिकाओं को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि केंद्र सरकार द्वारा जैन समाज को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित किया गया है। 27 जनवरी 2014 को इस बारे में राजपत्र भी जारी हो चुका है। ऐसी स्थिति में जैन समाज के अनुयायियों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अनुतोष प्राप्त करने का अधिकार नहीं है।
खंडेलवाल ने हिंदू विवाह विधि मान्य अधिनियम 1949 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें दी गई हिंदू की परिभाषा में पहले से ही जैन शामिल हैं।
सभी पक्षकारों को सुनने के बाद न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था, जो सोमवार को जारी हुआ।
उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने कुटुंब न्यायालय के निर्णय को निरस्त करते हुए कुटुंब न्यायालय को आदेश दिया है कि वह मामले में हिंदू विवाह अधिनियम के प्रविधानों के तहत आगे सुनवाई करे।
28 याचिकाएं की गई थीं निरस्त कुटुंब न्यायालय ने वैवाहिक विवादों से संबद्ध जैन समुदाय की 28 याचिकाएं निरस्त कर दी थीं।
अभिभाषक खंडेलवाल ने बताया कि इनमें से चार मामलों में उच्च न्यायालय में अपील हुई थी। इनमें अभिभाषक वर्षा गुप्ता, अभिभाषक यशपाल राठौर भी पैरवी कर रहे थे।
उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि हिंदू विवाह वैधता अधिनियम, 1949 को हिंदुओं, सिखों और जैनों तथा उनकी विभिन्न जातियों, उपजातियों और संप्रदायों के बीच सभी मौजूदा विवाहों को वैध बनाने के लिए पारित किया गया था।
अधिनियम की धारा 2 में हिंदू की परिभाषा के अनुसार सिख या जैन धर्म को मानने वाले व्यक्ति शामिल हैं।
उक्त अधिनियम की धारा 3 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सिख और जैन सहित हिंदुओं के बीच कोई भी विवाह किसी अन्य मौजूदा कानून, व्याख्या, पाठ, नियम, रीति-रिवाज या उपयोग के आधार पर अमान्य नहीं माना जाएगा।