उमरिया में सरकारी स्कूल के शिक्षक की शर्मनाक करतूत सामने आई है। शिक्षक ने अपने पद को कलंकित करते हुए छोटी छात्रोंओ के साथ घिनौनी हरकत को अंजाम दिया है।
दरअसल, मामला उमरिया जिले के ग्राम कौड़िया के कुदरी टोला प्राथमिक शाला का है। जहां पांचवी कक्षा की छात्रों ने शिक्षक पर छेड़छाड़ कर गलत तरीके से टच करने और गलत हरकतें करने के आरोप लगाए हैं। शिक्षक की इस घिनौनी हरकतों से छात्राओं के परिजनों और स्थानीय ग्रामीणों ने शिक्षक के खिलाफ केस दर्ज कर उसे जेल भेजने की मांग की है।
पीड़ित छात्राओं के परिजनों का कहना है कि पहले भी कई बार स्कूल से आकर बच्चियों ने बताया लेकिन वे इसे मजाक समझ रहे थे। लेकिन वही हरकत कई बार और भी बच्चियों के साथ शिक्षक के द्वारा की जा रही थी, तभी उन्होनें पड़ोसियों की बच्चियों से पूछा तो सारी सच्चाई सामने आई। परिजनों ने पहले सीएम हेल्पलाइन नंबर 181 पर जानकारी दी और स्कूल के प्रधान प्राचार्य के पास लिखित शिकायत की। चंदिया थाना पहुंचकर परिजनों ने पुलिस को बताया कि उनकी बच्चियां स्कूल में पढ़ती है वहां का शिक्षक छात्राओं के साथ अश्लील हरकत और छेड़खानी करता है। शिक्षक से परेशान होकर बच्चियां अब स्कूल जाने से घबरा रही है
मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रतिपाल सिंह महोबिया ने सख्त आदेश देते हुए आरोपी शिक्षक के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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बड़ा हादसा टला: 55 फीट गहरे कुएं में गिरी महिला, 2 घंटे के रेस्क्यू के बाद सुरक्षित निकली
अशोकनगर। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। यहां 55 वर्षीय महिला सुनीता जैन 55 फीट गहरे कुएं में अचानक गिर गईं। बताया जा रहा है कि, महिला कुएं की मुंडेर पर खड़ी थीं और अनियंत्रित होकर नीचे गिर पड़ीं। कुएं में लगभग 7 फीट पानी भरा हुआ था, लेकिन यह अनुपयोगी स्थिति में था।
घटना की सूचना मिलते ही मौके पर एसडीआरएफ की टीम पहुंची। इसके बाद तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद टीम ने महिला को कुएं से बाहर निकाला। बाहर निकालने के बाद महिला की हालत सामान्य बताई जा रही है।
रेस्क्यू के दौरान मौके पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए थे। इन सभी ने एसडीआरएफ टीम के कार्य की सराहना की। इस दौरान एसडीआरएफ जवान राहुल रघुवंशी ने बताया कि टीम ने पूरी सतर्कता और कुशलता के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया।
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सरकार का बड़ा निर्णय: राज्य के 17 धार्मिक स्थलों में शराब की बिक्री पर बैन
खरगोन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सार्थक कर रहे हैं। पवित्र व पर्यटन नगरी महेश्वर में देवी अहिल्याबाई के 300वीं जयंती वर्ष को समर्पित डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठक हुई। सीएम ने कहा कि प्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराबंदी पर फैसला लिया गया है। इस वित्तीय वर्ष के खत्म होने पर यह लागू होगा।
प्रदेश में शराब बंदी को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कैबिनेट बैठक में बड़ा ऐलान कर दिया है। उज्जैन, मंदसौर, अमरकंटक, ओंकारेश्वर, दतिया, सलकनपुर सहित 17 नगरों में शराब की दुकानें बंद करने का फैसला लिया गया है। सीएम ने यह भी किया यहां बंद हुई शराब दुकानों को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया जाएगा। यह हमेशा के लिए बंद कर दी जाएंगी।
मध्य प्रदेश के उज्जैन, दतिया, पन्ना, मंडला, मुलताई, मंदसौर, मैहर, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मंडलेश्वर, ओरछा, चित्रकूट, अमरकंटक, सलकनपुर, बर्मानकला, लिंगा, कुंडलपुर, अरमानपुर और बांदलपुर में शराब बंदी की जाएगी। इनमें एक नगर निगम, 6 नगर पालिका, 6 नगर परिषद और 6 ग्राम पंचायत भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव महेश्वरी साड़ी तैयार करने वाली महिला बुनकरों से संवाद करेंगे। माना जा रहा है कि बैठक में महेश्वर के साथ प्रदेश के विकास के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे। इसके बाद मंडलेश्वर में आमसभा होगी।
कैबिनेट में शामिल होने वालों के लिए 17 प्रकार के मालवी व निमाड़ी व्यंजन हैं। मुख्यमंत्री मंडलेश्वर में 982 करोड़ 59 लाख की महेश्वर-जानापाव उद्वहन सिंचाई योजना का शिलान्यास भी करेंगे। इस योजना से तीन जिलों में पानी पहुंचेगा।
बैठक से पहले सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ मंत्रिमंडल के सदस्यों ने मां अहिल्या को पुष्प अर्पित किए और उनकी राजगादी के दर्शन किए। इसके बाद सभी घाट पर पहुंचे और मां नर्मदा की आरती कर उन्हें चुनरी अर्पित की।
देवी अहिल्याबाई होलकर का जन्म वर्ष 31 मई 1725 को महाराष्ट्र राज्य के चौंढी नामक गांव (जामखेड़, अहमदनगर) में हुआ था। वे एक सामान्य किसान की बेटी थीं। उनके पिता मान्कोजी शिंदे किसान थे। अहिल्याबाई रोजाना शिव मंदिर में पूजन करती थीं।
10 वर्ष की अल्पायु में ही होलकर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव के साथ वे परिणय सूत्र में बंध गई थीं। उन्होंने कई तीर्थ स्थानों के साथ ही मंदिर, घाट, कुएं, बावड़ियों, भूखे लोगों के लिए अन्नक्षेत्र और प्याऊ का निर्माण भी कराया।
साथ ही साड़ियां बनवाने के लिए बुनकरों को बसाया। यहां महेश्वरी साड़ियों का निर्माण किया जाता है। साल 1754 में जब अहिल्याबाई होलकर महज 21 साल की थीं, तभी पति खांडेराव होलकर कुंभेर के युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए।
अहिल्याबाई ने पति की मौत के बाद सती होने का फैसला लिया, लेकिन ससुर मल्हार राव होलकर ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। देवी अहिल्याबाई का 13 अगस्त 1795 को देवलोकगमन हुआ।
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