श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने राज्य के स्पेशल स्टेटस (अनुच्छेद 370) को फिर से बहाल करने का प्रस्ताव पास कर दिया है। हालांकि BJP विधायकों ने इसका विरोध किया और प्रस्ताव की कॉपियां फाड़ दीं। विधायक वेल में जाकर नारेबाजी करते रहे।
BJP का आरोप था कि स्पीकर ने मंत्रियों की बैठक बुलाई और खुद ही प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया। इसके बाद विधायकों ने बेंच पर चढ़कर हंगामा किया। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
वहीं BJP अध्यक्ष सत शर्मा की अगुआई में पार्टी कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय में इकट्ठा होकर जम्मू-कश्मीर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी का पुतला भी जलाया।
भाजपा ने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह कर रही है और कहा कि कोई भी विधानसभा अनुच्छेद 370 और 35ए को वापस नहीं ला सकती।
प्रस्ताव में लिखा- सरकार जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस पर बात करे सदन की कार्रवाई शुरू होते ही जम्मू-कश्मीर के डिप्टी CM सुरिंदर चौधरी ने विशेष दर्जे को बहाल करने के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसे केंद्र ने 5 अगस्त, 2019 को रद्द कर दिया था। इसमें कहा गया, ‘राज्य का स्पेशल स्टेटस और संवैधानिक गारंटियां महत्वपूर्ण हैं। यह जम्मू-कश्मीर की पहचान, कल्चर और लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करता है। विधानसभा इसे एक तरफा हटाने पर चिंता व्यक्त करती है।
भारत सरकार राज्य के स्पेशल स्टेटस को लेकर यहां के प्रतिनिधियों से बात करे। इसकी संवैधानिक बहाली पर काम किया जाए। विधानसभा इस बात पर जोर देती है कि यह बहाली नेशनल यूनिटी और जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छाओं, दोनों को ध्यान में रख कर की जाए।' निर्दलीय विधायक शेख खुर्शीद और शब्बीर कुल्ले, पीसी प्रमुख सज्जाद लोन और पीडीपी विधायकों ने इसका समर्थन किया।
BJP का आरोप- स्पीकर ने खुद ही ड्राफ्ट बनाया जम्मू विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा समेत भाजपा के सभी विधायकों ने प्रस्ताव का विरोध किया। शर्मा ने कहा कि उनके पास जानकारी है कि स्पीकर ने मंगलवार (5 नवंबर) को मंत्रियों की बैठक बुलाई थी और खुद ही प्रस्ताव तैयार किया। वे इस दौरान स्पीकर हाय-हाय और पाकिस्तानी एजेंडा नहीं चलेगा जैसे नारे लगाते रहे।
शर्मा ने यह भी पूछा कि जब LG के अभिभाषण पर चर्चा होनी थी तो प्रस्ताव कैसे लाया गया? उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव उन्हें मंजूर नहीं है। इसके बाद उन्होंने इसकी कॉपी फाड़कर वेल में फेंक दी। हंगामे के बीच विधानसभा स्पीकर अब्दुर रहीम राथर ने प्रस्ताव पर वोटिंग कराई, जिसके बाद प्रस्ताव बहुमत से पास कर दिया गया।
वहीं भाजपा विधायकों के आरोपों को लेकर अध्यक्ष अब्दुल रहीम राठेर ने कहा, "अगर आपको मुझ पर भरोसा नहीं है, तो अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएं।"
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मेनिफेस्टो में किया था वादा केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया था। इस दौरान इसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने मेनिफेस्टो में इसकी बहाली के प्रयास करने का वादा किया था। प्रस्ताव पास होने के बाद CM उमर अब्दुल्ला ने कहा कि विधानसभा ने अपना काम कर दिया है।
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कार के लाइसेंस पर 7500kg व्हीकल चलाने पर रोक नहीं:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह रोजी-रोटी से जुड़ा मुद्दा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कार के लाइसेंस यानी लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस होल्डर्स को 7,500 किलो तक वजन वाली गाड़ियां चलाने की परमिशन दे दी है। बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई डेटा नहीं है, जो साबित करता हो कि LMV ड्राइविंग लाइसेंस होल्डर्स देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मुद्दा LMV ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले ड्राइवरों की रोजी-रोटी से जुड़ा है। कोर्ट ने केंद्र से कानून में संशोधन प्रक्रिया जल्द पूरी करने को भी कहा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला बीमा कंपनियों के लिए झटका माना जा रहा है। बीमा कंपनियां हादसों में एक निश्चित वजन के ट्रांसपोर्ट व्हीकल के शामिल होने और नियम मुताबिक ड्राइवरों को उन्हें चलाने के लिए अधिकृत न होने पर क्लेम खारिज कर रही थीं।
18 जुलाई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने इस कानूनी सवाल से जुड़ीं 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी। प्रमुख याचिका बजाज अलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की तरफ से दाखिल की गई थी।
फैसले की 3 बातें- LMV और ट्रांसपोर्ट व्हीकल अलग-अलग वर्ग नहीं हैं। दोनों के बीच ओवर लैप मौजूद है। कानून को व्यावहारिक और काम में आने योग्य बने रहना चाहिए।
खतरनाक सामान ले जाने वाले वाहनों पर विशेष पात्रता लागू रहेगी।
बेंच ने यह भी कहा कि सड़क हादसों के पीछे लापरवाही से और तेज स्पीड में गाड़ी चलाना, सड़क का डिजाइन और ट्रैफिक रूल्स का उल्लंघन शामिल है। इसके अलावा ड्राइविंग करते समय मोबाइल का इस्तेमाल, सीट बेल्ट न लगाना और हेलमेट न पहनना भी दुर्घटना का कारण बनते हैं।
दरअसल यह सवाल तब उठा, जब 2017 में मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने एक फैसला सुनाया था। तब कोर्ट ने कहा था- ऐसे ट्रांसपोर्ट व्हीकल, जिनका कुल वजन 7,500 किलोग्राम से ज्यादा नहीं है, उन्हें LMV यानी लाइट मोटर व्हीकल की परिभाषा से बाहर नहीं कर सकते
बीमा कम्पनियों का आरोप था कि मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) और अदालतें एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ी उनकी आपत्तियों की अनदेखी करते हुए उन्हें बीमा दावों का भुगतान करने के लिए आदेश पारित कर रही हैं। बीमा कम्पनियों ने कहा था कि बीमा दावा विवादों का फैसला करते समय अदालतें बीमाधारक के पक्ष में फैसला सुना रही हैं।
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नागपुर में राहुल गांधी बोले- जाति जनगणना जरूर होगी:कहा- हम आरक्षण में 50% की दीवार भी तोड़ेंगे
नागपुर। राहुल गांधी ने कहा, "देश में जाति जनगणना होगी और इससे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय का पता चलेगा। जाति जनगणना से सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। सभी को पता चल जाएगा कि उनके पास कितनी शक्ति है और हमारी भूमिका क्या है। जाति जनगणना विकास का प्रतिमान है। उन्होंने कहा कि हम 50% (आरक्षण सीमा) की दीवार भी तोड़ देंगे।"
राहुल बुधवार (6 नवंबर) को नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा- हमें देश को बताना होगा कि हम देश में हाशिए पर पड़े 90% लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए लड़ रहे हैं।
कांग्रेस ने आज से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू किया है। कांग्रेस महाविकास अघाड़ी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। उसने 103 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा है।
राहुल के बयान की बड़ी बातें...हम हर सम्मेलन में अंबेडकर जी, गांधी जी, साहू महाराज जी समेत कई महान लोगों के बारे में बात करते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि जब हम इनकी बात करते हैं तो सिर्फ एक व्यक्ति की बात नहीं होती। क्योंकि इन महापुरुषों की बातों में भी करोड़ों लोगों की आवाज रहा करती थी। वे जब बोलते थे तो दूसरों का दुख, दर्द उनके मुंह से निकलता था।
जब आप अंबेडकर की किताबें पढ़ेंगे तो साफ दिखेगा कि वे अपनी नहीं, दूसरों की बात कर रहे हैं। अंबेडकर, गांधी जी ने कभी अपना दर्द नहीं देखा, वे सिर्फ लोगों के दर्द की बात करते हैं। जब हिंदुस्तान ने अंबेडकर जी से संविधान बनाने के लिए कहा, तो इसका मतलब था- संविधान में देश के करोड़ों लोगों का दर्द और उनकी आवाज गूंजनी चाहिए।
संविधान के पीछे की सोच हजारों साल पुरानी है। इसमें जो लिखा है, वही भगवान बुद्ध, महात्मा गांधी, फुले जी जैसे अनेक महापुरुषों ने कही है। इसमें लिखा है कि सभी के बीच समानता होनी चाहिए, हर धर्म, हर भाषा, हर जाति का आदर होना चाहिए।
संविधान से ही सरकार की अलग-अलग संस्थाएं बनती हैं। अगर संविधान नहीं होता तो इलेक्शन कमीशन भी नहीं बनता। संविधान से हिंदुस्तान का एजुकेशन सिस्टम, IIT, IIM, प्राइमरी एजुकेशन सिस्टम, सेकेंडरी एजुकेशन सिस्टम बना है। अगर ये हट गया तो आपको एक पब्लिक स्कूल, पब्लिक अस्पताल, पब्लिक कॉलेज नहीं मिलेगा।
जनता की बात सुनते वक्त मेरे पास एक छोटी सी आवाज आई- जातिगत जनगणना। लेकिन फिर धीरे-धीरे ये आवाज बड़ी हो गई। इसे हमने जातिगत जनगणना का नाम दिया है, पर इसका असली मतलब न्याय है। मेरी सोच है कि बिना शक्ति और धन के आदर का कोई मतलब नहीं है।
राहुल गांधी ने क हा- डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने जो संविधान बनाया, वह केवल एक किताब नहीं है, बल्कि जीवन जीने का तरीका है। RSS और भाजपा के लोग जब संविधान पर हमला करते हैं, तब वे देश की आवाज पर हमला कर रहे होते हैं। उन्होंने कहा कि RSS संविधान पर सीधा हमला नहीं कर सकता। अगर वो इसके खिलाफ आगे आकर लड़े, तो 5 मिनट में हार जाएगा।
राहुल ने तंज कसते हुए कहा कि RSS और BJP विकास, प्रगति और अर्थव्यवस्था, जैसे शब्दों के पीछे छिपकर हमला करने आते हैं।