भारत में मंकीपॉक्स से बढ़ती चिंता को देखते हुए केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी है. हाल ही में एक संदिग्ध मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क रहने और स्क्रीनिंग व संपर्क ट्रेसिंग पर जोर देने की हिदायत दी है. गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पहले ही मंकीपॉक्स को लेकर चिंता जता चुका है, क्योंकि इस बीमारी से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए स्क्रीनिंग में तेजी लाने और स्थिति पर निगरानी रखने का निर्देश दिया है. हालांकि, अधिकारियों ने कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत यात्रा से संबंधित मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
दिल्ली में संदिग्ध मामला सामने आया रविवार को मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के एक संदिग्ध मामले की पुष्टि की थी. यह व्यक्ति विदेश से भारत लौटा था, जिसे आइसोलेशन में रखा गया है और उसकी स्थिति स्थिर बताई गई है. मंत्रालय ने बताया कि मरीज के सैंपल की जांच जारी है ताकि मंकीपॉक्स की पुष्टि की जा सके.
मंत्रालय ने कहा कि मामले को प्रोटोकॉल के अनुसार संभाला जा रहा है और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों का पता लगाकर उनका आकलन किया जा रहा है. यह कदम राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) द्वारा किए गए पहले के जोखिम मूल्यांकन के अनुरूप है, और इस समय किसी भी अनावश्यक चिंता का कारण नहीं है.
हाल ही में मंकीपॉक्स को दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया गया था, क्योंकि यह बीमारी अफ्रीका के कई हिस्सों में फैल रही है. 2022 में WHO द्वारा इसे पीएचईआईसी घोषित किए जाने के बाद भारत में अब तक इस बीमारी के 30 मामले सामने आ चुके हैं. इस साल मार्च में मंकीपॉक्स का आखिरी मामला रिपोर्ट किया गया था.
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 से अब तक 116 देशों में 99,176 मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 208 लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले साल इस बीमारी के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई थी और इस साल के मामलों की संख्या पिछले साल से भी अधिक हो गई है.
मंकीपॉक्स क्या है? मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित व्यक्ति या जानवर के सीधे संपर्क में आने से फैलती है. इसे एमपॉक्स भी कहा जाता है. यह वायरस जानवरों और इंसानों दोनों को प्रभावित कर सकता है. मंकीपॉक्स के लक्षण 3 से 17 दिनों के बीच दिखाई दे सकते हैं, जिसे इनक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है. इसके लक्षणों में बुखार, दाने, और सूजन शामिल होते हैं.
कांगो में सबसे ज्यादा मामले फिलहाल, मंकीपॉक्स का सबसे अधिक प्रकोप अफ्रीका के कांगो में देखने को मिल रहा है, जहां 2023 में अब तक 27,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और 1100 लोगों की मौत हो चुकी है. खासतौर पर बच्चे, गर्भवती महिलाएं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. कांगो में मंकीपॉक्स के दो स्ट्रेन तेजी से फैल रहे हैं, जिसके कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है.
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रामेश्वरम कैफे विस्फोट: NIA का खुलासा- मुस्लिम युवाओं को डार्क वेब-क्रिप्टो के जरिए IS में भर्ती की हुई साजिश
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार आरोपियों के खिलाफ जो आरोपपत्र दायर किया है, उसमें अहम खुलासा हुआ है। मुस्लिम युवाओं को गुमराह कर उन्हें वैश्विक आतंकी संगठन 'आईएसआईएस' में शामिल करने के लिए बड़ी साजिश रची जा रही थी। सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों से बचने के लिए ये आतंकी डार्क वेब, क्रिप्टो मुद्रा व टेलीग्राम की मदद ले रहे थे।
एनआईए ने सोमवार को हाई - प्रोफाइल बंगलूरू रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। इन आरोपियों में मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ शामिल हैं। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पीडीएलपी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है। ये चारों आरोपी आरसी-01/2024/एनआईए/बीएलआर मामले में फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इस साल एक मार्च को आईटीपीएल बंगलूरू के ब्रुकफील्ड स्थित रामेश्वरम कैफे में हुए आईईडी विस्फोट में नौ लोग घायल हो गए थे। होटल की संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा था।
एनआईए ने 3 मार्च को इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस केस में विभिन्न राज्य पुलिस बलों और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय कर कई तकनीकी पहलुओं की जांच की थी। जांच से पता चला है कि शाजिब ही वह शख्स था, जिसने कैफे में बम रखा था। वह, ताहा के साथ, 2020 में अल-हिंद मॉड्यूल आतंकी संगठन का भंडाफोड़ होने के बाद से फरार था। एनआईए द्वारा की गई व्यापक तलाशी के कारण उन्हें रामेश्वरम कैफे विस्फोट के 42 दिन बाद पश्चिम बंगाल में उनके ठिकाने से गिरफ्तार किया गया। कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के रहने वाले दोनों व्यक्ति आईएसआईएस के साथ जुड़े हुए थे। उन्होंने पहले सीरिया में आईएसआईएस क्षेत्रों में हिजरत करने की साजिश रची थी।
ये दोनों व्यक्ति भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को आईएसआईएस विचारधारा के प्रति कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय रूप से शामिल थे। माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ ने ऐसे दर्जनों युवाओं का माइंड वॉश किया था। ताहा और शाजिब ने धोखाधड़ी से प्राप्त भारतीय सिम कार्ड और भारतीय बैंक खातों का उपयोग किया। सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में न आने पाएं, इसके लिए उन्होंने डार्क वेब की मदद ली। इसी की मदद से उन्होंने विभिन्न भारतीय और बांग्लादेशी पहचान पत्र वाले दस्तावेजों को डाउनलोड किया था। जांच से यह भी पता चला है कि ताहा को एक पूर्व दोषी शोएब अहमद मिर्जा ने लश्कर-ए-तैयबा बंगलूरू साजिश मामले में भगोड़े मोहम्मद शहीद फैसल से मिलवाया था। इसके बाद ताहा ने अपने हैंडलर फैसल को अल-हिंद आईएसआईएस मॉड्यूल मामले के आरोपी महबूब पाशा और आईएसआईएस दक्षिण भारत के अमीर खाजा मोहिदीन और बाद में माज मुनीर अहमद से मिलवाया। इन सभी ने मिलकर आईएसआईएस विचारधारा के मुताबिक आतंक को आगे बढ़ाने की साजिश रची थी।
आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए ताहा और शाजिब को उनके हैंडलर द्वारा क्रिप्टो मुद्राओं के माध्यम से वित्त पोषित किया गया था। ताहा ने विभिन्न टेलीग्राम आधारित पी2पी प्लेटफार्मों की मदद से फिएट में बदल दिया। जांच में आगे पता चला है कि आरोपियों ने इस धनराशि का इस्तेमाल बंगलूरू में हिंसा की विभिन्न घटनाओं को अंजाम देने के लिए किया था। इनमें 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन राज्य भाजपा कार्यालय, मल्लेश्वरम, बंगलूरू पर एक असफल आईईडी हमला भी शामिल था। इसके बाद दो मुख्य आरोपियों ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट की योजना बनाई थी।
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8 साल बाद खुलेगी जज की पत्नी की संदिग्ध मौत की फाइल, सुप्रीम कोर्ट ने दिए सीबीआई जांच के आदेश
दंतेवाड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में उच्च न्यायिक सेवा के जज की पत्नी की आठ वर्ष पूर्व संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने महिला की मां और भाई की याचिका पर सीबीआई को जल्दी रिपोर्ट दाखिल करने कहा है।
15 मई 2016 को जिला व सत्र न्यायालय दंतेवाड़ा के तत्कालीन एडीजे मानवेंद्र सिंह की पत्नी रंजना दीवान सिंह (37) ने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। रंजना के मायके ग्राम किरारी, अकलतरा, जांजगीर से उनकी मां मंदाकिनी दीवान, भाई राजीव और सुबोध पहुंचे। तीनों मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे थे। हालांकि गीदम पुलिस ने आत्महत्या बताकर 2017 में मामले को बंद कर दिया था।
CBI जांच करे, जरूरी हो तो FIR करे: SC
SC में कहा गया कि मृतका के पति के वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी होने के कारण जांच प्रभावित हुई।
यह आरोप लगाया गया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मैनेज की गई। रिपोर्ट में मौत का सच छुपाया गया।
याचिकाकर्ता का कहना था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छह चोटें ऐसी पाई गईं जो मरने से पहले की थीं।
दोनों का विवाह 2014 में हुआ था। जस्टिस विक्रमनाथ की पीठ ने CBI जांच का आदेश दिया।
कहा कि CBI जल्दी जांच करके रिपोर्ट दाखिल करे। यदि जरूरत हो तो एफआइआर भी दर्ज करे।