नई दिल्ली। दिल्ली के राउ IAS कोचिंग सेंटर के बेसमेंट हादसे मामले में म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली (MCD) ने सोमवार को एक्शन लिया। एक जूनियर इंजीनियर को बर्खास्त और एक असिस्टेंट इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया।
ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित इस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में शनिवार को बारिश के पानी में डूबकर 3 छात्रों की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले को लेकर आज सोमवार को 5 और लोगों को गिरफ्तार किया है। इस तरह अब तक कुल 7 लोग अरेस्ट हो चुके हैं। तीस हजारी कोर्ट ने आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इस बीच सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें लिखा गया कि हादसे से एक महीने पहले यानी 26 जून को ही इस बारे में MCD से शिकायत की गई थी, जिस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद 2 रिमाइंडर भी दिए गए। बावजूद MCD ने कार्रवाई नहीं की।
AAP मुख्यालय के पास भाजपा ने प्रदर्शन किया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि MCD में AAP का बहुमत है। मेयर भी AAP का ही है। यह घटना MCD की लापरवाही के कारण हुई। कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने वॉटर कैनन चलाई।
इधर, AAP कार्यकर्ताओं ने LG सचिवालय के बाहर भाजपा और MCD कमिश्नर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने कहा- MCD कमिश्नर की नियुक्ति गृह मंत्रालय करता है। कमिश्नर की लापरवाही के कारण जलभराव हुआ और स्टूडेंट्स की मौत हुई।
कोचिंग सेंटर के पास स्टूडेंट भी प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली के LG वीके सक्सेना आज उनसे मिलने पहुंचे। आज दिल्ली के 13 कोचिंग सेंटर भी सील किए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनमें दृष्टि IAS कोचिंग संस्थान का एक सेंटर भी शामिल है। यह सेंटर नेहरू विहार के वर्धमान मॉल के बेसमेंट में चल रहा था।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि आज गिरफ्तार हुए लोगों में वो शख्स भी शामिल है, जिसने कोचिंग के सामने से तेजी से कार चलाई थी। उसकी SUV कार भी जब्त कर ली गई है। पुलिस ने कहा- ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तेज कार चलाने के कारण पानी का प्रेशर बढ़ा और बेसमेंट का गेट टूट गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी के बाद बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी में पानी भरा और स्टूडेंट डूबने लगे।
उधर, ओल्ड राजेंद्र नगर में नाले के आस-पास से बुलडोजर से अतिक्रमण हटाया गया। वहीं, MCD ने भी एक जूनियर इंजीनियर को टर्मिनेट और एक असिस्टेंट इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा कोचिंग के छात्र लगातार आज दूसरे दिन भी MCD और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन कर रहे हैं।
कोचिंग हादसे को लेकर राष्ट्रीय प्रवासी मंच की याचिका में छात्रों की सुरक्षा को लेकर गाइडलाइन बनाने और हादसा होने पर उचित मुआवजा देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार, MCD और राउ IAS कोचिंग को जनहित याचिका में पक्षकार बनाया है।
इसमें हाईकोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में घटना की जांच कराने की मांग की गई है। साथ ही दूसरे राज्यों से आने वाले छात्रों की सुरक्षा को लेकर भी गाइडलाइन बनाने की बात कही गई है।
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छत्तीसगढ़ में 150 मिनी स्टील प्लांट स्ट्राइक पर, बिजली की बढ़ी दरों का विरोध
छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में 25 प्रतिशत तक वृद्धि के विरोध में मिनी स्टील प्लांट (Mini Steel Plants) मालिकों ने सोमवार आधी रात से काम बंद करने का एलान किया है. स्टील उद्योग एसोसिएशन के पदाधिकारी अनिल नचरानी ने एनडीटीवी को बताया 29 जुलाई यानी आज रात 12 बजे से छत्तीसगढ़ के डेढ़ सौ से ज़्यादा मिनी स्टील प्लांट बंद हो जाएंगे.दरअसल एसोसिएशन ने सरकार से बिजली दरों में वृद्धि को वापस लेने की मांग की थी लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर अभी तक ध्यान नहीं दिया है.
अनिल नचरानी का कहना है कि महंगी बिजली की वजह से एक टन स्टील उत्पादन में दो से ढाई हज़ार रुपये की लागत ज़्यादा आ रही है. जिससे वे दूसरे राज्य से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पायेंगे. अनिल नचरानी ने बताया उनके एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है अगर CSPDCL बिजली सस्ती नहीं दे सकती तो उन्हें अदानी पॉवर समेत दूसरे निजी पॉवर जनरेशन कंपनी से बिजली ख़रीदने की अनुमति दी जाए. आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि स्टील उद्योग की क्या स्थिति है?
बता दें कि राज्य में पहले स्टील इंडस्ट्रीज को 6.10 रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली मिलती थी जो अब बढ़कर 7.21 रुपये प्रति यूनिट हो गई है. इसके अलावा दूसरे टैक्स को मिला दें तो ये दर करीब 9 रुपये प्रति यूनिट तक हो जाएगी. अब स्टील उद्योग एसोसिएशन का कहना है कि ये दर पूरे देश में सबसे ज्यादा है. अनिल नचरानी का कहना है कि उनके संगठन ने कई बार संबंधित विभागों और सरकार को ये बढ़ी हुई दरें वापस लेने का आग्रह किया लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. इसी वजह से सोमवार से राज्य के 150 से ज्यादा स्टील प्लांट बंद किए जाएंगे. दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने भी इस पर मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस ने सरकार पर स्टील उद्योंगों को परेशान करने का आरोप लगाया है.
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दिल्ली हाईकोर्ट बोला- रामदेव कोरोनिल का दावा वापस लें, ...बॉम्बे हाईकोर्ट ने 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को पतंजलि और बाबा रामदेव के खिलाफ डॉक्टरों की कई एसोसिएशन की तरफ से दाखिल याचिका पर फैसला सुनाया।
जस्टिस अनूप भंभानी की बेंच ने बाबा रामदेव को आदेश दिया है कि रामदेव 3 दिन के अंदर टिप्पणी वापस लें, जिसमें उन्होंने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर नहीं, बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है।
जस्टिस भंभानी ने कहा, ''मैंने पतंजलि, बाबा रामदेव और उनके प्रमोटरों को 3 दिनों में कुछ ट्वीट हटाने का निर्देश दिया है। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया मीडिएटर इन ट्वीट को हटा देंगे।"
दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान बाबा रामदेव ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर नहीं बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है। इसे लेकर डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी।
डॉक्टरों ने पतंजलि के दावे के संबंध में अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कोरोनिल से जुड़े बयानों को हटाने की अंतरिम राहत की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 21 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
डॉक्टरों की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि रामदेव ने कोरोनिल को कोविड की दवा बताते हुए कई भ्रामक दावे किए थे। जबकि, उन्हें कोरोनिल के लिए सिर्फ इम्यूनो-बूस्टर होने का लाइसेंस मिला था। डॉक्टरों के वकील ने यह मांग भी की थी कि पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव को भविष्य में ऐसे बयान देने से रोकने के लिए निर्देश दिए जाएं।
रामदेव के वकील ने कहा था कि भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पंतजलि ने सुप्रीम कोर्ट में जो बयान दर्ज कराए हैं, वे उन पर कायम हैं और हाईकोर्ट में उन बयानों को दोहरा सकते हैं।
इस पर डॉक्टरों के वकील ने कहा था कि पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में यह वादा किया था कि वे बिना सोचे समझे ऐसे बयान नहीं देगा, जो कानून के मुताबिक न हों। कोरोनिल का मामला उस मामले से अलग है, लिहाजा इस मामले में हाईकोर्ट को फैसला सुनाना चाहिए।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया
दूसरी तरफ, बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज पतंजलि आयुर्वेद पर कपूर उत्पाद बेचने पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश का उल्लंघन करने पर 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। 30 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने पतंजलि को कपूर उत्पाद बेचने से रोका था। एक हलफनामे में पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगी और अदालत के आदेशों का पालन करने की बात कही थी।
अंतरिम आवेदन के जरिए कोर्ट को बताया गया था कि पतंजलि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। जस्टिस आरआई चागला ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ उसके कपूर प्रोडक्ट के संबंध में ट्रेडमार्क उल्लंघन के मुकदमे में मंगलम ऑर्गेनिक्स के दायर अंतरिम आवेदन पर यह आदेश पारित किया है।
मंगलम ऑर्गेनिक्स ने दावा किया था कि पतंजलि ने 24 जून के बाद भी कपूर प्रोडक्ट बेचे। इसने आगे बताया कि 8 जुलाई को पतंजलि की वेबसाइट पर कपूर उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध थे। मंगलम ऑर्गेनिक्स ने कहा कि पतंजलि के पेश हलफनामे में इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने 9 जुलाई सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि उसने बाजार में अपने 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री रोक दी है। उत्तराखंड ने अप्रैल में इन प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस सस्पेंड किए थे। यह जानकारी पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस से जुड़ी थी। यह केस IMA ने पतंजलि के खिलाफ दाखिल किया था।
कंपनी ने जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच को बताया कि लाइसेंस रद्द होने के बाद 5,606 फ्रेंचाइजी स्टोर्स को 14 प्रोडक्ट्स वापस लेने का निर्देश दिया गया है। साथ ही मीडिया प्लेटफार्म्स से भी प्रोडक्ट्स के विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया गया है।
बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को दो सप्ताह के भीतर एक एफिडेविट दायर करने का निर्देश दिया। इसमें कपंनी को बताना है कि क्या सोशल मीडिया को-ऑर्डिनेटर्स ने इन प्रोडक्ट्स के विज्ञापन हटाने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और क्या उन्होंने विज्ञापन वापस ले लिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 जुलाई को होगी।