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NHAI ने जारी किए फास्टैग के नए रुल, शीशे पर स्टीकर चिपकाना हुआ जरूरी, नहीं तो देना होगा...

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NHAI के नए निर्देशों के अनुसार, यदि आपके पास फास्टैग है, तो इसे अपने वाहन के विंडशील्ड पर सही तरीके से चिपकाना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो आपको दोगुनी राशि चुकानी पड़ सकती है।
FASTAG का नया नियम-दरअसल NHAI ने फास्टैग को लेकर नए निर्देश जारी किए हैं। इन नए नियमों के तहत यदि कोई वाहन फास्टैग लेन में प्रवेश करता है और उसके विंडशील्ड पर फास्टैग नहीं लगा होता है, तो टोल ऑपरेटर को अधिकार होगा कि वह दोगुनी राशि वसूल करे। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि टोल टैक्स की सही और सटीक वसूली सुनिश्चित की जा सके।
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर, जबलपुर और अन्य शहरों में कई मामले सामने आए हैं जहां लोग टोल टैक्स से बचने के लिए फास्टैग को जेब या कार में रखे होने का दावा करते हैं। इस प्रकार के मामलों में, लोग एंट्री पॉइंट पर बिना फास्टैग के प्रवेश कर लेते हैं और फिर बाहर निकलते समय जेब में रखा फास्टैग दिखाकर भुगतान से बचने की कोशिश करते हैं। इन घटनाओं को देखते हुए NHAI ने सख्ती बरती है और नए निर्देश जारी किए हैं।
दरअसल NHAI की एनएचएमसीएल एजेंसी ने इन घटनाओं को रोकने के लिए नया सर्कुलर जारी किया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई वाहन फास्टैग लेन में प्रवेश करता है और उसके विंडशील्ड पर फास्टैग नहीं लगा होता है, तो टोल ऑपरेटर दोगुनी राशि वसूल करेगा। इसके साथ ही, दोगुनी राशि वसूली के समय वाहनों की ‘स्पष्ट वाहन पंजीकरण संख्या’ के साथ सीसीटीवी फुटेज में स्टोर किया जाएगा।
वाहन के विंडशील्ड पर फास्टैग लगाने से वाहन टोल पर आते ही पढ़ा जाता है और टोल टैक्स स्वत: कट जाता है। इससे टोल प्लाज़ा पर भीड़ नहीं होती और यातायात सुगम रहता है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि फास्टैग विंडशील्ड पर इस तरह से लगाया जाए कि वह कैमरे पर सही से दिखाई दे। इससे टोल ऑपरेटर को वाहन की पहचान करने में आसानी होती है और टोल की वसूली में कोई समस्या नहीं आती।
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इलेक्टोरल बॉन्ड पर 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:याचिकाकर्ता की मांग- पार्टियों से पैसे वसूले जाएं
नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। NGO कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) ने बॉन्ड के लेनदेन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की मांग की है। 22 जुलाई को इस पर सुनवाई होगी।
CJI डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई करेगी। दोनों NGO की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने यह याचिका लगाई है। कोर्ट याचिका स्वीकार कर ली है और कहा है कि इससे जुड़े अन्य याचिकाओं को भी साथ में सुना जाएगा।
इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सामने आने के बाद यह याचिका लगाई गई है। इसमें दो मांगें रखी गई हैं।
पहला- इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की जांच SIT से कराई जाए। SIT की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें।
दूसरा- याचिका में कहा गया है कि आखिर घाटे में चल रहीं कंपनियों (शैल कंपनियां भी शामिल) ने पॉलिटिकल पार्टीज को कैसे फंडिंग की। अधिकारियों को निर्देश दिया जाए की पॉलिटिकल पार्टियों से इलेक्टोरल बॉन्ड में मिली राशि वसूल करें। क्योंकि यह अपराध से जरिए कमाई गई राशि है।
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि कंपनियों ने फायदे के लिए पॉलिटिकल पार्टियों को बॉन्ड के जरिए फंडिंग की। इसमें सरकारी काम के ठेके, लाइसेंस पाने, जांच एजेंसियों (CBI, IT, ED) की जांच से बचने और पॉलिसी में बदलाव शामिल है।
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माइक्रोसॉफ्ट आउटेज- जिससे एयरलाइन से शॉपिंग मार्केट तक ठप, क्रैश हो चुके सिस्टम को रीस्टोर करना बड़ी चुनौती
नई दिल्ली। माइक्रोसॉफ्ट के सॉफ्टवेयर में शुक्रवार (19 जुलाई) सुबह खराबी आने के बाद दुनियाभर में फ्लाइट ऑपरेशन गड़बड़ा गए हैं। सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी से दुनियाभर के एयरपोर्ट्स पर चेक इन सिस्टम और इन्फॉर्मेशन डिस्प्ले बंद हो गए। इससे फ्लाइट्स के लिए चेक इन और टिकट बुकिंग सर्विसेज ठप हो गईं।
भारत समेत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और इंग्लैंड में एयरलाइंस, ATM, बैंकिंग और कॉर्पोरेट कंपनियों के कामकाज पर बुरा असर पड़ा है। ब्रिटेन में तो टेलीविजन का प्रसारण ठप हो गया। तकनीकी भाषा में इसे मेगा IT आउटेज कहा जा रहा है। समस्या की शुरुआत, वजह और इसे ठीक करने में आने वाली चुनौतियों को DB डिजिटल के CTO परेश गोयल से समझने की कोशिश करते हैं।
दुनियाभर में विंडोज-10 यूजर्स के सिस्टम क्रैश हो रहे हैं यानी उनके सिस्टम या तो अचानक बंद हो रहे हैं या रीस्टार्ट हो जा रहे हैं। इस वजह से कंप्यूटर की स्क्रीन पर नीले बैकग्राउंड के साथ एक मैसेज डिस्प्ले हो रहा है। इसे ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ (BSOD) एरर कहा जा रहा है। ऐसी स्थिति में कंप्यूटर पर कोई काम नहीं किया जा सकता।
ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ एक सीरियस एरर स्क्रीन है, जो विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर दिखाई देती है। ऐसा तब होता है, जब सिस्टम किसी सीरियस इश्यू के चलते क्रैश हो जाता है। इस मैसेज के मायने हैं कि सिस्टम सुरक्षित रूप से काम नहीं कर सकता है। इस एरर पर कंप्यूटर अपने आप रीस्टार्ट होने लगता है और डेटा लॉस की आशंका बढ़ जाती है।
कंप्यूटर सिस्टम को साइबर अटैक और वायरस से बचाने के लिए विंडोज बेस्ड कंप्यूटर में क्राउडस्ट्राइक (Crowdstrike) नाम के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है। यह बेहद जाना-माना एंटीवायरस सॉफ्टवेयर है और बड़ी कंपनियां सिक्योरिटी के लिए इसे इस्तेमाल करती हैं।
गुरुवार रात (18 जुलाई) को क्राउडस्ट्राइक सॉफ्टवेयर ने एक अपडेट रिलीज किया, जिसने विंडोज कंप्यूटर में अचानक गड़बडी पैदा कर दी। जिन कम्प्यूटर्स पर यह अपडेट गया, वे सब क्रैश होते चले गए। इन्हीं कंप्यूटर्स पर एयरलाइंस की बुकिंग और चेक इन सर्विस आधारित है। लिहाजा ये तमाम सर्विसेस बंद पड़ गईं।