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किडनी ट्रांसप्लांट के रैकेट का भंडाफोड़, नोएडा की नामी महिला डॉक्टर भी शामिल, बांग्लादेश से भारत तक का कनेक्शन

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दिल्ली। पुलिस की अपराध शाखा ने एक अंतर्राष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह के 7 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इसमें शामिल एक महिला डॉक्टर ने महज दो साल के भीतर नोएडा के एक ही अस्पताल में 20 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट के ऑपरेशन किए थे। ये लोग नौकरी का झाँसा देकर बांग्लादेशी नागरिकों को भारत लाते थे और जाली कागजात बना उनकी किडनी ट्रांसप्लांट करवाते थे। पुलिस ने आरोपियों के पास से 8 मोबाइल, 2 लैपटॉप और फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं।
बताया जा रहा है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ऐसे छह अस्पताल हैं जो ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए पंजीकृत हैं। नोएडा का स्वास्थ्य विभाग उन सबके आंकड़े जुटा रहा है। इसे दिल्ली की अपराध शाखा को सौंपा जाएगा। ऐसे में नोएडा में भी कई डॉक्टरों और अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यथार्थ (दोनों शाखाओं) और प्राइमा अस्पताल में अब तक 119 ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए हैं। करीब 12 प्राइमा अस्पताल में और शेष यथार्थ अस्पताल में हुए हैं। इनमें किडनी, लिवर और हृदय प्रत्यारोपण प्रमुख हैं। मरीज के साथ अंगदाता के कार्यालय पहुंचने के बाद जरूरी दस्तावेज की जांच के उपरांत प्रक्रिया पूर्ण करने पर एनओसी दिया जाता है।
इस प्रक्रिया में ट्रांसप्लांट करने वाला डॉक्टर को नहीं आना होता है। इसलिए डॉ. विजया राजकुमारी कार्यालय नहीं आईं। उनके जिले में प्रैक्टिस करने संबंधी दस्तावेज की जांच के बाद कुछ कहा जा सकता है। यथार्थ अस्पताल में जो ट्रांसप्लांट हुए उनमें बांग्लादेश, अफगानिस्तान के अलावा विभिन्न देशों से मरीज और अंगदाता पहुंचे थे।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जिले के अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। अगर डॉक्टर अस्पताल में प्रैक्टिस करता है तो अस्पताल प्रशासन इस संबंध में शपथ पत्र देता है। डॉ. विजया राजकुमारी के जिले में प्रैक्टिस संबंधी दस्तावेज की जांच के बाद कुछ कहा जा सकता है। अगर महिला डॉक्टर का जिले में पंजीयन नहीं मिलता है तो यह विभाग के साथ अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर सकता है।
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7 राज्यों की 13 सीटों पर उपचुनाव में भाजपा को 2 का नुकसान, कांग्रेस को 2 का फायदा; TMC ने भाजपा की 3 सीटें छीनीं
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश और बिहार समेत 7 राज्यों की 13 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। सभी सीटों पर 10 जुलाई को वोटिंग हुई थी। इनमें से कांग्रेस ने 4, टीएमसी ने 4, भाजपा ने 2, AAP, डीएमके और निर्दलीय ने 1-1 सीटें जीत ली हैं।
इन 13 सीटों में भाजपा के पास 3 सीटें थीं, कांग्रेस के पास 2, टीएमसी के पास 1, जेडीयू 1, आप 1, डीएमके 1, बीएसपी 1 और निर्दलीय के पास 3 सीटें थीं। इस उपचुनाव में भाजपा 2, कांग्रेस 4, टीमएसी 4, जेडीयू 0, आप 1, डीएमके 1, बीएसपी 0 और निर्दलीय को एक सीट मिली है।
यानी भाजपा को 1 और JDU को 1 सीट मिलाकर दो सीटों का नुकसान हुआ। कांग्रेस को 2 और TMC को 3 सीटों का फायदा हुआ है। हिमाचल में भाजपा में शामिल हुए 3 में से एक निर्दलीय ही चुनाव जीत पाए, दो हार गए। पंजाब में भी AAP से आए कैंडिडेट चुनाव हार गए।
NDA ब्लॉक में 13 में से 11 सीटों पर भाजपा और दो अन्य पर JDU, PMK ने चुनाव लड़ा। इनमें भाजपा मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा और हिमाचल प्रदेश की हमीपुर सीट ही जीत पाई। JDU बिहार की रुपौली और PMK तमिलनाडु की विक्रवंडी सीट हार गई।
INDIA ब्लॉक में 13 में से कांग्रेस 9, RJD 1, CPI (M) 2 और DMK एक सीट पर चुनाव लड़ी। कांग्रेस ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की। इनमें हिमाचल प्रदेश की देहरा, नलगढ़ और उत्तराखंड की बद्रीनाथ, मंगलौर सीट शामिल है। डीएमके ने तमिलनाडु की विक्रवंडी सीट पर जीत दर्ज की।
पंजाब में एकमात्र सीट AAP ने भाजपा से जीत ली। पश्चिम बंगाल की 4 विधानसभा सीटों पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने जीत दर्ज की। पिछली बार भाजपा के पास 3 सीटें थीं, लेकिन इस बार TMC ने तीनों सीटें छीन लीं। यहां TMC अकेले चुनाव लड़ी।
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लूट के आरोपियों को थाने लाकर छोड़ा, एसपी ने एसआई एवं दो कांस्टेबल किए निलंबित
भिवाड़ी. घटाल गांव में महिला व्यवसायी से लूट के प्रयास में भिवाड़ी थाना पुलिस की शर्मनाक हरकत सामने आई है। लूट के आरोपियों को पकडऩे के बाद छोडऩे का मामला सामने आया है। इसकी भनक लगते ही एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी ने एसआई पुनीत मीणा, हेड कांस्टेबल बलराम एवं कांस्टेबल कमल ङ्क्षसह को निलंबित कर दिया है, तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर निलंबन काल में रिजर्व लाइन में रहने के आदेश जारी किए हैं। लूट के आरोपियों को पकडऩे और छोडऩे के मामले में पुलिसकर्मियों ने उच्चाधिकारियों को भी अवगत नहीं कराया। स्वयं के स्तर पर ही सारा घटनाक्रम कर दिया।
घटाल गांव में दो जून को हीना गर्ग पत्नी हरीश गर्ग को लूटने के लिए बदमाश राशन दुकान पर आए थे। हेलमेट लगाकर आए बदमाश ने हीना के ऊपर पिस्टल तान दी। हीना ने हिम्मत दिखाते हुए बदमाश का सामना किया और बदमाश बाहर बाइक पर खड़े दो साथियों के साथ भाग निकला। उक्त घटना का सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुआ। भिवाड़ी थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। एसपी ने महिला दुकानदार के साहस को देखते हुए चार जुलाई को कार्यालय में बुलाकर दंपत्ति को सम्मानित किया। उन्हें थाने में महिला सुरक्षा सखी और उनके पति को सीएलजी सदस्य बनने के लिए निमंत्रण दिया।
क्षेत्र में इतनी बड़ी वारदात घटित होने, सीसीटीवी फुटेज मिलने, महिला की वीरता के आगे बदमाशों के झुकने, एसपी द्वारा दंपत्ति को सम्मानित किए जाना, इससे उक्त मामले की संवेदनशीलता पता चलती है। उक्त घटना की चर्चा पूरे भिवाड़ी के साथ आसपास में भी हुई। मामले की जांच निष्पक्ष होनी चाहिए थी, दोषियों को सजा दिलाने में पुलिस को शत प्रतिशत प्रयास करने चाहिए थे लेकिन उक्त जवानों ने पुलिस की साख को ही बदनाम करने का चक्रव्यूह रच दिया।
बदमाशों को पकडऩे में पुलिस पीछे नहीं रही। घटना के पांच दिन बाद ही लूट के प्रयास के आरोपियों को पकड़ लिया गया। सात जुलाई को बदमाशों को थाने लाकर पूछताछ की गई। पूछताछ एवं अन्य तकनीकि जांच में आरोपियों ने लूटपाट के प्रयास को स्वीकार भी कर लिया। इसके बाद तीनों पुलिसकर्मियों ने मिलीभगत कर आरोपियों को छोड़ दिया। इसमें क्षेत्र के एक जन प्रतिनिधि की भूमिका भी सामने आ रही है।
लूट के आरोपियों को थाने लाने एवं उनके छोड़े जाने के बाद थाने में दो दिन तक उक्त घटनाक्रम की चर्चाएं चलती रहीं। इसके बाद मामला एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी तक पहुंचा। उन्होंने इसकी जांच कराई तो मामला सही निकला। इसके बाद एसपी ने तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
थानों में कुछ पुलिसकर्मी लंबे समय से जमे हैं। इन्हें क्षेत्र में चलने वाली सभी गतिविधियों की अच्छी तरह जानकारी है। इनके अनुभव को जो लाभ महकमे को मिलना चाहिए वह नहीं मिलता। ये लोग विभाग के लिए कम और खुद के लिए काम करते हैं।